Shukra Gochar 2023: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशियों में ग्रहों के प्रवेश और बाहर जाने से गोचर बनते हैं और इन गोचर का भाव योग बनाता है जो कि शुभ और अशुभ दोनों होता है. ऐसा ही एक गोचर 30 मई 2023 को होने जा रहा है जिसके तहत शुक्र गह का प्रवेश कर्क राशि में होने जा रहा है.


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हालांकि शुक्र का कर्क राशि में होने वाले इस गोचर के चलते ज्योतिष शास्त्र के एक महत्वपूर्ण नियम कारको भाव नाशाय का निर्माण हो रहा है. सामान्य शब्दों में कहें तो, कारको भाव नाशाय का सीधा अर्थ है कुंडली में किसी भाव के स्वामी का अपने ही भाव को नुकसान पहुंचाना. यह वो अशुभ योग है जो कि किसी की कुंडली में सबसे बुरा असर छोड़ता है. आइये एक बार इसे विस्तार से समझते हैं-


क्या होता है कारको भाव नाशाय का योग


आपको बता दें कि यह ज्योतिष शास्त्र में वर्णित एक ऐसी अवधारणा या नियम है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है और इसका उपयोग भी कम ही किया जाता है. 12 राशियों में 12 भाव होते हैं जो कि 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस दौरान हर ग्रह का खास भाव और उसके सकारात्मक के साथ नकारात्मक पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं.


इसे टुकड़ों में समझने की कोशिश करते हैं जिसमें कारको यानी कारक भाव का अर्थ कुंडली के भाव से हैं जबकि नाशाय का अर्थ नष्ट करने से हैं, आसान भाषा में कहें तो जब कोई ग्रह किसी विशेष भाव का स्वामी है और उसी भाव पर दृष्टि डाल रहा होता है तो उस समय कारको भाव नाशाय का निर्माण होता है. ऐसी स्थिति में उस भाव का स्वामी अपने ही भाव को नुकसान पहुंचाता है.


जानें किन परिस्थितियों में लागू होता है ये नियम 


ग्रहों की अवस्था या स्थिति बहुत ही महत्व रखती है और ऐसे में, यदि ग्रह की स्थिति अच्छी हो, तो यह नियम लागू नहीं होगा. कारको भाव नाशाय का नियम उस समय लागू होता है जब कोई ग्रह शत्रु राशि में स्थित हो या कोई ग्रह बिना किसी समर्थन के नीच राशि में मौजूद हो.


दूसरा पक्ष यह है कि जब ग्रह को युति के माध्यम से किसी लाभकारी ग्रह का समर्थन मिल रहा हो या उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो ऐसे में इस योग के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं. यदि एक लाभकारी या कुपित ग्रह गलत स्थिति में या नीच भाव में बैठा होता है, तब कारको भाव नाशाय का नियम लागू होता है.


इन राशियों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव


कर्क राशि (Cancer)- इस अशुभ योग का सबसे ज्यादा असर कर्क राशि के जातकों पर पड़ेगा, शुक्र इन जातकों के चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब पहले भाव में गोचर करेंगे. ऐसे में, आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी और सामाजिक जीवन में भी सुधार आएगा. हालांकि, शुक्र की दृष्टि आपके सातवें भाव पर होगी और इसके परिणामस्वरूप, आपके वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं.


शादीशुदा जातकों को वैवाहिक जीवन में नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए कर्क राशि के विवाहित जातकों को सावधान रहते हुए मुश्किल परिस्थितियों को धैर्य के साथ संभालना होगा.


मकर राशि (Capricorn)- मकर राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके सातवें भाव में गोचर कर रहे हैं. हालांकि, पांचवें और दसवें भाव के स्वामी होने के नाते शुक्र जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आपको लाभ प्रदान करेंगे, लेकिन कर्क राशि के सातवें भाव में मौजूद होने के कारण यह आपके वैवाहिक जीवन में परेशानियां पैदा कर सकते हैं.


ऐसे में, यदि सातवें भाव के स्वामी चंद्रमा और अन्य ग्रह अशुभ प्रभाव में हैं, तो इस स्थिति में शुक्र तलाक या पति-पत्नी के बीच समस्याओं का कारण बन सकता है.


इन उपायों से मिलेगी अशुभ प्रभावों से मुक्ति  


इस दौरान संभव हो, तो ज्यादा से जायदा सफेद रंग के कपड़े पहनें और नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें और प्रतिदिन रुद्राभिषेक करें. जीवनसाथी का सम्मान करें, छोटी कन्याओं या विधवा स्त्रियों को मिठाई खिलाएं.


शुक्र ग्रह से शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने चरित्र को उच्च बनाए रखें. शुक्र देव का आशीर्वाद पाने के लिए माता लक्ष्मी की पूजा करें. देवी लक्ष्मी को लाल रंग के फूल अर्पित करें. घर और कार्यस्थल पर कुबेर यंत्र की स्थापना करें.


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