नई दिल्लीः Sundarkand: हिंदू धर्म में हनुमान जी की साधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है. इस दिन सुंदरकांड का पाठ करना बेहद ही शुभ माना जाता है. ऐसा करने से हनुमन जी का कृपा बरसती है और जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है. तो आइए जानते हैं सुंदरकांड का पाठ करने का क्या हैं वो नियम.   


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सुंदरकांड का महत्व
सुंदरकांड रामायण का पांचवां कांड है, जो हनुमान जी के पराक्रम और भक्ति का वर्णन करता है. सुंदरकांड का पाठ करने से कई लाभ मिलते हैं. मनोकामनाओं की पूर्ति, सुख-समृद्धि में वृद्धि, शत्रुओं पर विजय, रोगों से मुक्ति, भय से मुक्ति मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना भी आवश्यक है, तभी आपको शुभ फल प्राप्त होंगे.


सुंदरकांड का पाठ करने के नियम 
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थान को साफ करके चौकी लगाएं. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें. हनुमान जी को दीपक, फल, फूल, मिठाई, सुपारी, पान, कपूर, धूप, अगरबत्ती, रोली, चावल, अक्षत और जल अर्पित करें. सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले हनुमान जी से प्रार्थना करें. सुंदरकांड का पाठ एकाग्रता और श्रद्धा के साथ करें. सुंदरकांड का पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी की आरती करें. 
 
सुंदरकांड का पाठ करने का समय
सुंदरकांड का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार, शनिवार और रविवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है. सुंदरकांड का पाठ एक बार में या कई बार में किया जा सकता है. यदि आप एक बार में पाठ नहीं कर सकते हैं, तो आप इसे 11, 21, 31 या 41 दिन तक कर सकते हैं


सुंदरकांड का पाठ करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
सुंदरकांड का पाठ करने से पहले हनुमान जी से प्रार्थना करें. इसके बाद सुंदरकांड का पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी की आरती करें.  


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)