नई दिल्लीः हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों में कई देवी-देवताओं के अस्तित्व का उल्लेख मिलता है. लिहाजा भक्त भगवान के कई रूपों की आराधना भी करते हैं. भगवान के कई रूपों की आराधना करते वक्त कई बार भक्तों के मन में ये सवाल आता है कि हमारे लिए भगवान के सिर्फ एक रूप की पूजा करना लाभदायक है या फिर उनके कई स्वरूपों की पूजा करना उचित है. 


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हर भक्त को अलग-अलग भगवान आते हैं पसंद 
इस विषय पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि हर भक्त को भगवान के अलग-अलग रूप पसंद आते हैं और वे अपनी पसंद के अनुसार पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भगवान अनेक हैं. भगवान तो सिर्फ एक ही हैं. 


उन्होंने आगे कहा कि अब आपको भगवान की जो रूप सबसे प्यारी लग रही हो, आप उसी स्वरूप की पूजा कर सकते हैं. ऐसे में किसी भी भक्त के मन में इस तरह का सवाल उठना गलत है कि वह एक भगवान की पूजा करें या फिर अनेक भगवान की. 


शास्त्रों में स्वीकृत हैं भगवान के पांच स्वरूप 
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं कि शास्त्रों में भगवान के पांच रूप स्वीकार किए गए हैं. इनमें भगवान गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति शामिल हैं. शास्त्रों में भगवान के इन पांचों रूपों की आराधना करने का प्रावधान है. ऐसे में इन पांचों रूपों में से जिस रूप को लेकर मन में सच्ची भावना आए आप उस स्वरूप की उपासना कर सकते हैं. 


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