नई दिल्ली: Sharad Purnima आज शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं. इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाकर दिव्य प्रेम का नृत्य किया था. शास्त्रनुसार केवल शरद पूर्णिमा का चंद्रमा ही 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अपनी विशेष किरणों से अमृत वर्षा करता है. अतः इस रात चांदी के पात्र में गो दूध, घृत व अरवा चावल से बनी खीर चांदनी में 3 प्रहर रखने से वह औषधि बनकर 32 प्रकार के रोगों को ठीक करती है. प्रत्येक व्यक्ति के गुण के आधार पर कुछ कलाएं होती हैं. अगर किसी में 16 कलाएं हों तो वो संपूर्ण ब्रह्म बन जाता है. भगवान राम 12 कलाओं से युक्त थे परंतु भगवान कृष्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण थे इसलिए कृष्ण को विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं.ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं. यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है और उसके बाद उस खीर का सेवन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में …


शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है. इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है. इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है. प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था.


इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है. पर प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है. इस बार शरद पूर्णिमा 05 अक्टूबर को होगी. शरद पूर्णिमा पर यदि आप कोई महाप्रयोग कर रहे हैं तो पहले इस तिथि के नियमों और सावधानियों के बारे में जान लेना जरूरी है.


शरद पूर्णिमा व्रत विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए. ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए.


रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


यह भी पढ़िए- Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा पर 16 कलाओं का होता है चंद्रमा, जानिए आज का पंचांग और पर शुभ 



Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.