नई दिल्लीः घर-मकान, दुकान या कोई प्रतिष्ठान बनवाने में जितनी जरूरी उनकी डिजायनिंग, आकृति-आकार और साज-सज्जा होती है, उससे अधिक ही जरूरी होता है, घर में वास्तु दोष का निपटारा करना. भवन निर्माण के समय जाने-अनजाने में ऐसी गलती हो जाती है, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है.


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जरूरी है कि नक्शा बनवाते समय ही वास्तु दोष का ध्यान रखा जाए, लेकिन घर बन जाने के बाद बदलाव की स्थिति न होने से उत्पन्न वास्तु दोष समस्या बन सकता है. वास्तु दोष का असर कम करने के लिए वास्तु में कई उपाय बताए गए हैं, इनमे से एक है वास्तु मंत्र. जिस दिशा में वास्तु दोष हो, उस दिशा के अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए. 


उत्तर दिशा के लिए मंत्र
अगर उत्तर दिशा में वास्तु दोष हो तो ध्यान रखना चाहिए कि उत्तर दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ऊँ कुबेराय नमः मंत्र का जाप करें. इसके लिए सामान्यतः एक माला के 108 जाप करके हवन कराना उत्तम उपाय है.



इसके विधि-विधान पूजन के लिए ज्योतिषी या जानकार पंडित से संपर्क कर सकते हैं. 


वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम) के लिए मंत्र
वायव्य दिशा के स्वामी देवता वायु हैं. यह दिशा दोषपूर्ण होने पर सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग हो सकते हैं. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए ऊँ वायवै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. वायुदेव का स्मरण करने से मनुष्य का स्वास्थ्य भी उत्तम होता है. 


दक्षिण दिशा के लिए मंत्र
दक्षिण दिशा के देवता यमराज हैं. ऊँ यमाय नमः मंत्र के जाप से से इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है. साथ ही यम मंत्र के पाठ से मनुष्य को अपने जाने-अनजाने किए गए पापों से भी छुटकारा मिलता है. इस दिशा का वास्तु दोष भय हमेशा ही रहता है. इसलिए जरूरी है कि इस दिशा में न तो बैठकर भोजन करें और न ही डाइनिंग टेबल रखें. किचन का रुख भी दक्षिण नहीं बनाया जाता है. 


आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) मंत्र
आग्नेय दिशा के देवता अग्नि हैं. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर ऊं अं अग्नेय नम: मंत्र का जप लाभप्रद होता है. इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष न बनाएं. यह कोना किचेन के लिए सबसे ठीक होता है. अग्नि देव की दिशा होने से उनके आशीर्वाद भोजन भी स्वास्थ्य वर्धक बनता है. 


पूर्व दिशा के लिए मंत्र
पूर्व दिशा के देवता देवराज इन्द्र हैं. इन्द्र देव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ऊँ इन्द्राय नमः का जप करना इस दिशा के दोष को दूर कर देता है. इस दिशा में दोष होने घर में ऐश्वर्य की कमी होने लगती है.



मकान मालिक कर्ज में फंस सकते हैं और धनहानि होती है. 


ईशान दिशा (पूर्व-उत्तर) के लिए मंत्र
इस दिशा के देवता भगवान शिव हैं. इस दिशा का वास्तु दोष दूर करने और संतान व सुखी परिवार के लिए ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करें.


पश्चिम दिशा के लिए मंत्र
पश्चिम दिशा के देवता वरुण हैं. इस दिशा में भी किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए. यह जल की दिशा होती है. यहां पानी का स्थान रखा जा सकती है. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर ॐ अपां पतये वरुणाय नमः मंत्र का का नियमित जाप करें.


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नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) मंत्र
नैऋत्य दिशा के देवता नैऋत हैं. भगवान नैऋत के मंत्र ऊँ नैऋताय नमः के जाप से इस दिशा का वास्तु दोष कम किया जा सकता है.


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