नई दिल्ली. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार, इस व्रत को पूरी आस्था के साथ करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा, मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ती होती है.


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इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर को रखा जाएगा. हिंदू धर्म के अनुसार, जो लोग एकादशी का उपवास करते हैं, उन्हें अशुभ ग्रहों के प्रभावों से छुटकारा मिलता है. एकादशी के दिन भक्त कठोर उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही अपना उपवास तोड़ते हैं.


मोक्षदा एकादशी व्रत नियम
एकादशी के दिन जल्दी उठें. स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें. प्याज, लहसुन, मांस, चावल, गेहूं, दाल और फलियों का सख्ती से परहेज करें. इस दौरान शराब और तंबाकू का सेवन न करें. उदारतापूर्वक दान करें और जरूरतमंदों को भोजन और आवश्यक वस्तुएं दान करें. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का अधिक से अधिक बार जाप करें.


मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
मोक्षदा एकादशी से जुड़ी एक कथा के अनुसार, वैखानस नाम के एक दयालु राजा थे. एक रात उन्होंने अपने सपने में मृत पूर्वजों के नरक में तड़पते हुए देका. अपने सपने से भयभीत राजा ने अपने दरबार में ब्राह्मणों से सहायता मांगी. ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत मुनि के पास जाने को कहा, जो अकेले सपने की व्याख्या कर सकते थें.


इसके बाद राजा पर्वत मुनि के पास गए और उन्हें अपने सपने के बारे में बताया. मुनि ने राजा को पिता द्वारा किए गए पाप के बारे में बताया और पिता को पाप का प्रायश्चित करने में मदद करने के लिए राजा और उसके परिवार को मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन करने के लिए कहा. इस प्रकार राजा ने व्रत के माध्यम से अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद की.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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