नई दिल्लीः Shabari Jayanti 2024: हिंदू धर्म में शबरी जयंती का विशेष महत्व है. हर साल फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष को शबरी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी की भी पूजा की जाती है. शास्त्रों में भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार कहा जाता है. त्रेता युग के दौरान भगवान राम का जन्म अयोध्या के राजा कौशल्या और दशरथ के यहां हुआ था. 


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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान राम की जयंती को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के दौरान आती है. कहते हैं कि त्रेता युग में इसी दिन भगवान राम ने शबरी को दर्शन दिए थे और उनके जूठे बेर खाए थे. इसी वजह से इस दिन भगवान और भक्त की साथ में पूजा होती है. आइए जानते हैं, शबरी जयंती कब है. साथ ही इसकी पूजा विधि और महत्व के बारे में: 


शबरी जयंती शुभ मुहूर्त 
शबरी जयंती हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार शबरी जयंती की शुरुआत 2 मार्च को रात 8 बजकर 58 मिनट से होगी और 3 मार्च को रात 9:26 बजे तक रहेगी.


शबरी जयंती पूजा विधि 
शबरी जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीला वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर में मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और शबरी की प्रतिमा स्थापित करें. दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से आरती करें. साथ ही शबरी माता को फल, फूल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं. भगवान राम के मंदिर में जाकर बेर का भोग लगाएं और उनकी पूजा करें. 'श्री शबरी चरणे नमः' मंत्र का जाप करें. इस दिन शबरी माता की याद में यात्रा निकाली जाती है. 


शबरी जयंती का महत्व
शबरी जयंती भगवान राम के प्रति शबरी माता की अटूट भक्ति का प्रतीक है. यह दिन हमें सिखाता है कि भक्ति में जाति, पंथ, और सामाजिक स्थिति का कोई महत्व नहीं होता. शबरी माता का जीवन त्याग, समर्पण और भक्ति का प्रेरणादायी उदाहरण है. शबरी जयंती के अवसर पर आप इन कार्यों को भी कर सकते हैं. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और दान करें.
 
(Disclaimer:
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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