नई दिल्लीः Kartik Maas: कार्तिक मास आज से शुरू हो गया है. ये 15 नवंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के इस आठवें महीने में कई तीज त्योहार आते हैं. कार्तिक मास से ही शरद ऋतु शुरू होती है. इस महीने नदियों में स्नान करने का काफी महत्व बताया गया है. वहीं कार्तिक महीने में दीपदान का भी महत्व है. कार्तिक मास में मंदिर, तुलसी, आंवले का पेड़, नदी, पोखर, कुएं, बावड़ी और तालाब के किनारे दीपदान किया जाता है. इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है.


नदी में स्नान करने की है परंपरा


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कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है. इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है. इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं. स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें. स्नान घाट पर ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें.


जप और ध्यान के लिए है शुभ


रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. घर के मंदिर में ईष्टदेव के मंत्रों का जप करें. जप करते हुए ध्यान करें. जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए. ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है. इन दिनों में मौसम ऐसा रहता है, जिससे मन जल्दी एकाग्र हो जाता है और जप-ध्यान करने से अशांति दूर हो जाती है. 


गंगा जल मिलाकर करें स्नान


ध्यान करने के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए. इस माह में किया गया पूजा-पाठ साधक को पापों से मुक्ति प्रदान करता है. कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ फलदायक होता है. यह स्नान अविवाहित या विवाहित महिलाएं समान रूप से कर सकती हैं. अगर आप पवित्र नदी तक जाने में असमर्थ हैं तो घर पर स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है. 


कार्तिक मास में भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा करने से महापुण्य मिलता है. इस महीने में तुलसी और आंवले के पेड़ की पूजा भी करने की परंपरा है. ऐसा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य मिलता है.


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