नई दिल्ली: एक बार फिर दिल्ली में घुसपैठियों पर घमासान मचा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली बीजेपी के मुखिया NRC लागू करने के मसले पर आमने सामने हैं. जहां एक ओर मनोज तिवारी इसकी हिमायत में खड़े हैं, तो वहीं केजरीवाल को NRC कतई कबूल नहीं है. जब उनसे मनोज तिवारी के हवाले से दिल्ली में NRC लागू करने को लेकर सवाल किया गया तो केजरीवाल ने बीजेपी पर तीखा प्रहार कर दिया.


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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर एनआरसी दिल्ली में लागू हो गया तो सबसे पहले मनोज तिवारी को दिल्ली छोड़नी पड़ेगी.


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अरविंद केजरीवाल के इस जवाब के बाद सियासत में उबाल आना तो लाज़मी है. इस बयान के बाद सियासी संग्राम का दौर शुरू हो गया और दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पलटवार कर दिया. केजरीवाल पर पलटवार करते हुए बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि 'मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वो ये कहना चाहते हैं कि पूर्वांचल का रहने वाला एक व्यक्ति अवैध घुसपैठिया है, जिसको वह दिल्ली से बाहर करना चाहते हैं.' 


इस दौरान दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने ये भी कहा कि NRC के मुद्दा अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का नहीं है. जो विदेश से ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से आए हैं उन्हें जाना होगा. लेकिन, केजरीवाल जी को लगता है जो देश के बाक़ी हिस्से से दिल्ली आए हैं उन्हें भी दिल्ली छोड़ देनी चाहिए. इसलिए वो टुकड़े गैंग का समर्थन करते हैं.


इससे पहले बीते 31 अगस्त को दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली में भी एनआरसी लागू करने की वकालत की थी. लेकिन इससे पहले भी वो राष्ट्रीय राजधानी से अवैध अप्रवासियों को भगान के लिए एनआरसी की मांग उठाते रहे हैं. उन्होंने उस वक्त कहा था कि संदिग्ध हत्यारा रोहिंग्या या फिर बांग्लादेशी हो सकता है. 


तिवारी के अलावा कई दूसरे राज्य भी घुसपैठियों पर काबू पाने के लिए NRC लागू करने की मांग करते रहे हैं.


हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी हाल ही में कहा था कि एनआरसी सारे देश का एक विषय है. केंद्र सरकार ने इसे साफ कर दिया है कि एनआरसी जो हमारे प्रदेश हैं उसमें लागू करेंगे, उसमें हरियाणा भी आता है.


बीजेपी के कमोबेश तमाम नेता देशभर में NRC लागू करने के हक में हैं. हालांकि पार्टी ये साफ कर चुकी है कि कार्रवाई केवल घुसपैठियों के खिलाफ की जानी चाहिए. शरणार्थियों के खिलाफ नहीं.


शिवराज सिंह चौहान भी ये साफ कर चुके हैं कि NRC सारे देश की बननी चाहिए. लेकिन विपक्षी दलों को NRC मंजूर नहीं है. इतना ही नहीं बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाने वाले जेडीयू को भी इसपर ऐतराज है.