गांधीनगर: गुजरात में विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार को राजनीतिक रूप से बड़ा झटका लगा है. गुजरात हाई कोर्ट ने कद्दावर भाजपा विधायक और राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूड़ासमा को आज बड़ा झटका देते हुए अहमदाबाद जिले की धोलका सीट पर पिछले चुनाव में मिली उनकी जीत को आज रद्द कर दिया.


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मात्र 327 मतों से मिली थी चुनावी जीत


आपको बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक और सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले भूपेंद्र चूड़ासमा ने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अश्विन राठौड़ को मात्र 327 मतों के बेहद नजदीकी अंतर से हराया था. इस जीत को कांग्रेस उम्मीदवार ने गलत बताया था और मतगणना पर सवाल खड़े किये थे. इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.


पोस्टल बैलेट की नहीं हुई थी मतगणना


उल्लेखनीय है कि निवार्चन अधिकारी धवल जानी ने इससे पहले 429 पोस्टल बैलेट को खारिज कर इन्हें मतगणना में शामिल नहीं किया था. अश्विन  राठौड़ ने इसके बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उनका कहना था कि अगर पोस्टल बैलट की भी गिनती हुई होती तो परिणाम उनके पक्ष में जा सकता था.


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आपको बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय की अदालत ने फरवरी में ही इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी. उन्होंने अब अपना फैसला सुनाते हुए चूड़ासमा के निवार्चन को खारिज कर दिया. हालांकि वह इस मामले में ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं.


समझिये पूरा मामला


2017 में भूपेंद्र के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी अश्विन राठौड़ ने अपनी याचिका में मतों की गिनती के दौरान नियमों की अवहेलना और बैलेट पेपर के मतों की गिनती नहीं किए जाने का आरोप लगाया था. अपनी याचिका में राठौड़ ने कहा था कि नियमानुसार ईवीएम के मतों की गिनती से पहले बैलट पेपर के मतों की गिनती होनी चाहिए थी.


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इसके बाद बैलेट पेपर से लगभग 400 वोट पड़े थे, जिनकी गणना किए बगैर ही चूड़ासमा को विजेता घोषित कर दिया गया. चूड़ासमा को 327 वोट से विजेता घोषित कर दिया गया. गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद चूड़ासमा का निर्वाचन रद्द करने का फैसला सुनाया. इसके बाद अब भूपेंद्र चुडासमा के पास सुप्रीम कोर्ट का रास्ता बचा है.