लखनऊ: बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई होगी. ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद कई सदियों से चलता आ रहा है. ऐतिहासिक आधार बताते हैं कि 1669 में यह मस्जिद बनाई गई थी. हालांकि बाद में एक हिंदू शासक ने इसे फिर मंदिर में तब्दील कर दिया था.


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आक्रमणकारियों ने बढ़ा दिया गतिरोध


उल्लेखनीय है कि साल 1809 में काशी में हिंदुओं ने ज्ञानवापी मस्जिद पर कब्जा भी कर लिया था. ऐतिहासिक दस्तावेज इस ओर इशारा करते हैं कि 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने 'वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल' को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया.


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सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई


आपको बता दें कि आज की सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका के एडमिट होने के साथ बहस शुरू होने पर फैसला लिया जाएगा. कोर्ट तय करेगा कि ये केस सिविल कोर्ट में चलेगा या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में. हालांकि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने पहले ही जिला जज की अदालत में सिविल कोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल कर रखी है.


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आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ मन्दिर मामले में जो मुकदमा अभी चल रहा है उसकी शुरुआत साल 1991 में हुई थी, यानी ये लगभग 30 साल पुराना मुकदमा है. लेकिन ये कानूनी विवाद कई दशक पुराना है. स्वतंत्रता से पहले साल 1936 में भी ये मामला कोर्ट में गया था. तब हिंदू पक्ष नहीं, बल्कि मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की थी.


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