55 साल के अपराधी को Supreme Court ने क्यों माना नाबालिग? जानिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने बाल्यावस्था में कोई अपराध किया है और उसका दोष साबित होने तक वो बालिग हो गया, ऐसी स्थिति में उसे नाबालिग माना जाए या बालिग, इसका निर्णय जुवेनाइल बोर्ड करेगा.
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने एक अहम आदेश दिया. सुनने में ये बहुत अजीब लगता है कि 55 साल के हत्या के दोषी को नाबालिग मान लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने बाल्यावस्था में कोई अपराध किया है और उसका दोष साबित होने तक वो बालिग हो गया, ऐसी स्थिति में उसे नाबालिग माना जाए या बालिग, इसका निर्णय जुवेनाइल बोर्ड करेगा.
जुवेनाइल बोर्ड तय करे कि कितनी सजा मिलेगी- सुप्रीम कोर्ट
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या का दोषी पाए गए 55 वर्षीय व्यक्ति को कितनी सजा मिलनी चाहिए, ये जुवेनाइल बोर्ड निर्धारित करेगा. सर्वोच्च अदालत अपने फैसले में कहा कि चूंकि व्यक्ति ने हत्या 1981 में की जब वह नाबालिग था, इसलिए उसकी सजा भी जुवेनाइल बोर्ड ही तय करे.
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बहराइच कोर्ट की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
उल्लेखनीय है कि जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने उत्तर प्रदेश के बहराइच कोर्ट की तरफ से सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया. बहराइच कोर्ट ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और उसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी यह कहते हुए बरकरार रखा था कि 1986 के जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत 16 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को नाबालिग नहीं माना जाता था.
अदालत ने कहा कि जब मामले की सुनवाई खत्म हुई थी और जब 2018 में जब हाई कोर्ट ने फैसला दिया था तब जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2000 अस्तित्व में आ गया था. संशोधित कानून में कहा गया है कि अपराध के वक्त अगर किसी आरोपी की उम्र 18 साल से कम है तो उसके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट में की जाएगी.
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