नई दिल्ली: पूरी दुनिया में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा की चर्चा है और विदेश से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु इसे देखने आते हैं. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी लेकिन आज इस पर दोबारा सुनवाई हुई. रथ यात्रा के संचालन को अनुमति देने के पक्ष में प्रसिद्ध वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता खड़े हुए. उन्होंने रथयात्रा को कुछ शर्तों के साथ अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.


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प्लेग महामारी के दौरान भी हुई थी रथयात्रा


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भारत में प्लेग का खतरा व्याप्त था तब भी कुछ शर्तों और नियमों के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन हुआ था. इसलिए सीमित संख्या में और कोरोना निगेटिव आ चुके लोगों की उपस्थिति में रथ खींचा जाना चाहिए ताकि संक्रमण फैलने का कोई खतरा न हो. इस मामले की सुनवाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे ने तीन जजों की बेंच गठित की. इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी शामिल रहे.



 


केंद्र सरकार ने की रथयात्रा को मंजूरी देने की मांग


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए. किसी भी मुद्दे से समझौता नहीं किया गया है और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है. इस पर CJI ने कहा कि UOI को रथयात्रा का संचालन क्यों करना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह पर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है.


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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है. अदालत ने रथयात्रा को अनुमति देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखकर यात्रा का संचालन हो.


पहले अदालत ने स्थगित कर दी थी इस साल की रथयात्रा


आपको बता दें कि रथयात्रा पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमने इस साल रथ यात्रा स्थगित नहीं की तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे. प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि इतने बड़े आयोजन को करने में लाखों लोगो की भीड़ जुटेगी जिसमें सामाजिक दूरी का पालन करवा पाना सम्भव नहीं है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा था कि यदि हमने इस साल हमने रथ यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.