नई दिल्लीः कोरोना काल में जबकि ट्रेनों की संख्या अभी कम ही है, इस कठिन दौर में भी रेलवे टिकट के लिए दलाल सक्रिय हैं और धड़ल्ले से फर्जी टिकट से खूब कमाई कर रहे हैं. RPF ने देशभर में अभियान चलाकर रेलवे में बड़ी सेंध का खुलासा किया है. 


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ऐसे समय में जब देश में सिर्फ 230 स्पेशल ट्रेनें ही अभी चल रही हैं. तब भी टिकट के दलाल फर्जी टिकट से खूब कमाई कर रहे हैं. इसका खुलासा देशव्यापी अभियान चलाकर खुद रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी आरपीएफ ने ही किया है. 


RPF के महानिदेशक ने दी जानकारी
जानकारी के मुताबिक, RPF के महानिदेशक अरुण कुमार ने मंगलवार को रेलवे की टिकटिंग प्रणाली में सेंधमारी का खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि दलाल रियल मैंगो सॉफ्टवेयर के जरिए सेंध लगा रहे थे और कंन्फर्म टिकट हासिल कर रहे थे.



उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर ऑटोमैटिक रूप से टिकट बुक करने के लिए कैप्चा की अनदेखी करता है और मोबाइल ऐप की मदद से बैंक ओटीपी भी फॉर्म में डाल देता है. यह फॉर्म में अपने आप ही यात्री और उसके भुगतान का विवरण भी डाल देता है. 


भीड़ वाले रूट पर सक्रिय था गैंग
RPF डीजी अरुण कुमार के मुताबिक अभी जो भी ट्रेनें चल रही हैं उसमें कई ट्रेनें ऐसी हैं जिनमें वेटिंग लिस्ट बहुत ज्यादा रहती है. लिहाजा यह गैंग उन्हीं ट्रेनों को टारगेट करता था जिनके रूट पर यात्रियों की ज्यादा भीड़ रहती थी. अरुण कुमार के मुताबिक कोरोना काल के दौरान ही 900 से ज्यादा टिकट दलालों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है.


रेयर मैंगो के नाम से संचालित होता था सॉफ्टवेयर
फर्जी सॉफ्टवेयर रियल मैंगो को ऑपरेट करने वाले और इसके जरिए टिकट की दलाली करने वाले 50 लोगों को आरपीएफ ने देशव्यापी अभियान चलाकर 1 दिन में ही गिरफ्तार किया है. इस सॉफ्टवेयर को पहले रेयर मैंगो के नाम से ऑपरेट किया जा रहा था.



RPF को इस बारे में जानकारी 9 अगस्त को लगी थी. तब फील्ड स्टॉफ ने संदिग्धों को पकड़कर तहकीकात की थी. इससे ही आधिकारिक वेबसाइट में सेंधमारी कर रहे थे. 


कैसे काम करता था ये गैंग?
डीजी अरुण कुमार ने बताया कि फेक सॉफ्टवेयर को नष्ट कर दिया गया है. दलाल रियल मैंगो सॉफ्टवेयर के जरिए IRCTC की वेबसाइट में सेंध लगाते थे. सॉफ्टवेयर के जरिए ये लोग v3 बाईपास कर देते थे और V2 कैप्चा को बाईपास कर देते थे. मोबाइल ऐप के जरिए बैंक ओटीपी Synchronise कर देते थे और और ऑटोमेटिक तरीके से रिक्वेस्ट फॉर्म में फिल करते थे. Software Autofill से पैसेंजर और पेमेंट डिटेल फॉर्म में हो जाती थी. 


टिकट का पैसा बिटकॉइन के जरिए होता था रिसीव
सॉफ्टवेयर से आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर मल्टीपल आईडी से लॉगइन करते थे. फर्जी सॉफ्टवेयर सिस्टम एडमिन और उसकी टीम, मावेन्स (Mavens), सुपर सेलर, सेलर्स और एजेंट के जरिए 5 स्तर पर चलता था. सबसे खास बात तो यह है कि सिस्टम एडमिन टिकट का पैसा बिटकॉइन के जरिए रिसीव करता था.


मुख्य अपराधी पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार
अरुण कुमार के मुताबिक आरपीएफ ने इसके मुख्य सरगना सिस्टम डेवलपर के साथ ही पूरी टीम को गिरफ्त में लिया है. इसके 5 सॉफ्टवेयर को ऑपरेट करने वाले मुख्य अपराधी पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किए गए हैं.



इसके पहले पिछले साल दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक आरपीएफ में इसी तरह का अभियान चलाया था और कई फर्जी सॉफ्टवेयर का भंडाफोड़ किया था. इस कार्रवाई में भी आरपीएफ 140 लोगों को गिरफ्तार किया था. 


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