नई दिल्लीः एक और निजी क्षेत्र के बैंक में धोखाधड़ी सामने आई है. कर्नाटक बैंक के चार लोन खातों में 285 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी सामने आई है. बैंक की ओर से इसकी जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को दी गई है.


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बैंक की ओर से आरबीआइ को दी गई जानकारी के मुताबिक, उसके डीएचएफएल सहित चार इकाइयों के खाते कथित तौर पर एनपीए हो गए हैं. कर्नाटक बैंक ने regulatory filing में बताया है कि कुल 285.52 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी सामने आई है.


DHFL पर सबसे अधिक बकाया 
जानकारी के मुताबिक साल 2009 से 2014 के दौरान लेंडर्स कंर्सोटियम में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन, रेलिगेयर फिनवेस्ट, फेडर्स इलेक्ट्रिक एवं इंजीनियरिंग लि. एवं लील इलेक्ट्रिकल्स शामिल थे. बैंक की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि सबसे अधिक 180.13 करोड़ रुपये का कर्ज डीएचएफएल पर बकाया है. 


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अक्टूबर 2019 में घोषित किया गया NPA
बैंक ने कहा कि कंपनी के खाते को 30 अक्टूबर, 2019 को एनपीए घोषित किया गया. अब कंपनी की ओर से बैंक से कुल 180.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी रिजर्व बैंक को दी गई है. इसी तरह, रेलिगेयर इन्वेस्ट भी 2014 से बैंक से जुड़ी है और उसने भी कई लोन सुविधाएं ली हैं.


गठजोड़ के सदस्य द्वारा कंपनी के खाते को अक्टूबर 2019 में एनपीए घोषित किए जाने के बाद बैंक ने आरबीआइ को यह सभी जानकारी दी है. रेलिगेयर इन्वेस्ट पर 43.44 करोड़ रुपये बाकी हैं. इसी तरह लील इलेक्ट्रिकल्स के खाते को भी मार्च 2019 में एनपीए घोषित किया था. 


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