नई दिल्ली: भारत में कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या भी तेज गति से बढ़ रही है. ये देखकर गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को समाप्त कर दिया है और उसके स्थान पर अनलॉक करने की व्यवस्था की है. इसका मतलब ये है कि चरणबद्ध तरीके से लोग लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं और सभी व्यवस्थाएं धीरे धीरे सामान्य रूप से चलने लगी हैं. अनलॉक की वजह से कारोबार भी शुरू हो रहा है और बड़े बड़े उद्योगों के नुकसान में कमी आनी शुरू हुई है. बड़ी खबर ये है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है.
देश के विदेशी भंडार में हुई रिकॉर्ड वृद्धि
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश के मुद्रा भंडार की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी. RBI की ओर से बताया गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार 1.73 अरब डॉलर बढ़कर 493 अरब डॉलर यानी 37 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह देश के 12 महीने के आयात के बराबर है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल से 15 मई के बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 9.2 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है.
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कोरोना काल में ये वृद्धि शानदार संकेत
देश के जाने माने अर्थशास्त्री बता रहे हैं कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय ये रिकॉर्ड वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा संकेत है. इससे देश के कारोबार और लघु उद्योगों को मजबूत और सशक्त करने में अहम भूमिका साबित होगी. विदेशी पूंजी भंडार देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाता है और पिछले सप्ताह यह 3 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 490 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
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उल्लेखनीय है कि बीते 29 मई को समाप्त हुए सप्ताह में कुल रिजर्व का सबसे अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा 3.50 अरब डॉलर बढ़कर 455.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
FCA है बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह
आपको बता दें कि अर्थशास्त्रियों और RBI का मानना है कि विदेशी मुद्रा कोष में बढ़ोत्तरी की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में वृद्धि होना है. कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का प्रमुख हिस्सा होता है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में एफसीए 1.12 अरब डॉलर बढ़कर 448.67 अरब डॉलर हो गया. बता दें कि एफसीए में अमेरिकी डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राएं भी शामिल हैं. इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 61.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 32.91 अरब डॉलर हो गया है.