नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सियासी घमासान ने एक और नया रूप धारण कर लिया है, हर कोई ये जानना चाहता है कि ये पॉलिटिकल ड्रामा आखिरकार कब खत्म होगा? रातोरात बनी फडणवीस सरकार का दम निकल गया है, लेकिन महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक मजाक के सबसे बड़े विलेन अजित पवार साबित होते दिख रहे हैं.


आखिर कैसे और क्यों आई ऐसी नौबत?


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सबसे पहले आपका यहां ये जानने बेहद जरूरी हो जाता है कि अजित पवार ने इस्तीफा क्यों दिया? छोटे पवार के दिमाग में आखिरकार ऐसा क्या चल रहा है. जब उनके अंदर ये गूदा नहीं था कि वो अंतिम सांस तक युद्ध के मैदान में टिके रह पाए. तो फिर लंका में कूदा ही क्यों? 



अजित पवार के इस्तीफे और बैकफुट पर जाने के मुख्य तीन कारण हो सकते हैं. तीनों कारण आपको तफ्सील से समझाते हैं.


1). पलटू राम हैं 'छोटे पवार'?


जब महाराष्ट्र में सियासत का सबसे बड़ा ड्रामा चरम पर था, तो एक रात ऐसी आई जिसकी सुबह होते ही देवेंद्र फडणवीस दोबारा सीएम और भाजपा के साथ मिलकर अजित पवार डिप्टी की कुर्सी पर आसीन हो गए. लेकिन ये हर किसी के लिए बेहद ही चौंका देने वाली खबर थी. सुबह के अखबार की हेडलाइन ये थी कि उद्धव के नाम पर सहमति बनने की उम्मीद थी और साढ़े 8 बजे सुबह टीवी पर जो तस्वीर आई उसे देखकर हर कोई भौचक्का हो गया. फडणवीस सीएम और अजित उपमुख्यमंत्री बन चुके थे. ये वही अजित पवार थे, जो एक दिन पहले तक एनसीपी विधायक दल के नेता थे. शिवसेना, भाजपा और एनसीपी गठबंधन की हर बैठक में शामिल होते थे. 



 


2). लालच में पड़ गए अजित


आपको याद दिला दें, कि अजित पवार की पहली पलटी के बाद सभी विरोधी पार्टियों को गहरा सदमा पहुंचा था. जिसके बाद से उन्हें मिलाने के लिए एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना बार-बार बड़े ऑफर दे रही है. शिवसेना ने तो इतना तक बोल दिया कि अगर अजित पवार वापस आ जाते हैं तो उन्हें ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी दी जाएगी. सवाल ये भी है कि कहीं अजित पवार इस कुर्सी के लालच में तो नहीं पड़ गए.



3). नहीं बचा कोई दूसरा विकल्प


जब अजित पवार ने राज्यपाल को चिट्ठी सौंपी थी, तो उस वक्त वो एनसीपी विधायक दल के नेता थे. लेकिन बीते सोमवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने शक्ति प्रदर्शन कर ये दिखाने की कोशिश की और भाजपा को इस बात की खुली चुनौती दी कि उनके सारे विधायक एकजुट हैं. अब ऐसे में खबर ये आ रही है कि भाजपा की बैठक में ये तय किया गया है कि वो किसी भी तरह की जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं करेगी. जिसके आधार पर सरकार का स्थिर रह पाना असंभव है. यानी ऐसा भी हो सकता है कि अजित पवार और फडणवीस सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं था. जिसके बाद इस्तीफा-इस्तीफा का खेल शुरू हो गया. पहले डिप्टी सीएम अजित पवार ने कुर्सी छोड़ी और फिर सीएम के इस्तीफे की खबरों ने तूल पकड़ लिया.



महाराष्ट्र में जारी सियासी ड्रामे पर किसी का फिलहाल कुछ भी कह पाना बेहद ही मुश्किल है. क्योंकि इस बात का किसी को अंदाजा तक नहीं है कि सूबे की सियासत में अगले पल क्या होने वाला है.