काशी की पहचान है बनारसी पान, 2022 के चुनाव में किसे लगेगा चूना और किसकी बढ़ेगी शान?
Ground Report- बनारस आए और पान ना खाए, तो समझिए आपका सफर अधूरा रह गया. दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर कही जाने वाली काशी के पान का शौक बॉलीवुड से लेकर सियासी गलियारों तक है.
वाराणसी: बनारस में पान की दुकानों पर इस कदर भीड़ देखी जाती है, जैसे कोई मेला लगता है. यहां के पान की दुकानों के लिए ये रोज की कहानी है, लेकिन बनारसी पान का भौकाल आप इससे समझ सकते हैं कि बॉलीवुड का ये गीत 'खईके पान बनारस वाला' पूरी दुनिया में मशहूर है.
बनारस की गलियों में पान का भौकाल
चुनाव नजदीक है, ऐसे में ज़ी हिन्दुस्तान की टीम यूपी के हाल, सियासी माहौल को भापने के लिए पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रही है, इसी कड़ी में हम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. हमने बनारस में घाटों का रंग देखा, चाय की चुस्की का आनंद लिया. सभी में एक बात तो कॉमन थी वो ये कि यहां के लोग खूब बतकुच्चड़ करते हैं, जगह-जगह पंचायत लग जाती है. लेकिन हमारे इस सफर के बीच जो सबसे मजेदार प्वाइंट था वो ये था कि हमने बनारसी पान का भी भरपूर आनंद लिया.
हमारी टीम ने पूरे बनारस के अलग-अलग इलाकों में स्थित पान की दुकानों का जायजा लिया. हमने अपने सफर की शुरुआत बनारस के नदेसर स्थित एक छोटे पान की गुमटी से की. गुमटी के सामने पान के शौकीन लोगों का मजमा लगा हुआ था. इसके मालिक अशोक भी मस्त होकर लोगों के लिए कत्था, चूना, जर्दा, सुपारी लगाकर पान पे पान बनाए जा रहे थे.
हमने अशोक और वहां करीब 20-25 लोगों से बात की. उनका नब्ज टटोलने के लिए उनसे पूछ लिया कि चुनाव आ रहा है इस बार क्या लग रहा है? सवाल का जवाब देने वालों की तादाद ज्यादा थी, फिर भी हमने रवि पांडेय नाम के व्यक्ति से इसका जवाब लिया.
उन्होंने कहा, 'देखिए सबसे ज्यादा भौकाल यहां पान का है. ऐसा कोई भी गली नहीं है, जहां पान की दुकान नहीं है.' मुंह में पान दबाए हुए रवि ने ये जवाब बड़े मस्त अंदाज में दिया. 'बनारस में पान खाया नहीं जाता है, चबाया जाता है. इसे कहते हैं घुलल रही.'
वहीं खड़े अश्वनी चौहान नाम के शख्स ने चुनाव से जुड़े हमारे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 'यहां पर (बनारस में) भाजपा और योगी जी का भौकाल टाइट है, उन्होंने बहुत काम किया है. जो-जो यूपी में कहीं नहीं हुआ वो बनारस में हुआ है.'
'40 साल योगी रहेंगे तो ठीक होगा'
अश्वनी की बात सुनते ही रवि ने भी लपक कर जवाब दिया और कहा कि 'हम क्या, सभी खुश हैं. अभी बाबा (सीएम योगी) 40 साल रहें तभी ठीक होगा. 5 पंच वर्षीय योजना रहे, तभी यूपी का भौकाल टाइट होगा.'
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अशोक की गुमटी के पास खड़े सभी लोग योगी-योगी, मोदी-मोदी कर रहे थे. इसी बीच हमारी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई जिसने अखिलेश यादव के बारे में ऐसा कह दिया, जो उनकी चिंता बढ़ा सकती है.
यादव ने अखिलेश को जमकर कोसा
दरअसल, खुद को दया यादव बताने वाले एक शख्स भी पान की इस दुकान पर अपने मुह का स्वाद बढ़ाने पहुंचे थे. हमने नाम पूछा और तुरंत ये पूछ लिया कि इस बार यादव का पूरा वोट तो सपा पर जाएगा? जवाब में उन्होंने अखिलेश को कोसना शुरू कर दिया.
दया यादव ने बोला, 'यूपी में इस बार भी भाजपा आ रही है. यहां यादव की बात नहीं है, बात अपने देश की है. जो सुविधा हिन्दुओं को मिली है, वही मुसलमानों को मिली है. कोई एक भी शख्स बता दे कि उसे राशन नहीं मिला. अखिलेश ने दिया क्या है?'
इतना तो ठीक था, दया यादव ने तो अखिलेश पर ये भी आरोप लगा दिया कि उन्होंने यादवों की हत्या करा दिया. जियाउल हक मर्डर केस के वक्त सपा की ही सरकार थी. यादव हो या कोई भी देश प्रेमी, वो वोट भाजपा को ही करेगा.
पीएम मोदी ने इस पान वाले से की मुलाकात
नदेसर के बाद ज़ी हिन्दुस्तान की टीम बनारस के सबसे मशहूर पान की दुकान यानी रविंद्रपुरी स्थित केशव ताम्बूल भंडार पर पहुंची. हमने सबसे पहले देखा कि दुकान में एक तस्वीर टंगी थी. इसमें एक तो पान बना रहे शख्स हैं, दूसरे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
केशव ताम्बूल भंडार के मालिक लोगों को पान खिलाने में जुटे हुए थे. इतने में हमने पूछ लिया कि आपकी पान की दुकान का भौकाल तो पूरे बनारस और देशभर में है. उन्होंने कहा कि बिल्कुल पान, बनारस और यहां के लोगों सभी का अपना-अपना भौकाल है. पान की दुकान के बिना बनारसी राजनीति तो होगी ही नहीं..
दुकान के आस पास लोगों का जमावड़ा था, वो तो लाजमी है कि पूरे बनारस की सबसे मशहूर पान की दुकान के सामने खड़े हैं तो लोगों का मजमा तो लगा ही होगा. हमने एक-एक कर के सभी से बात की.
400+ सीटें जीतेंगे अखिलेश यादव!
वहीं मौजूद कुछ लोगों ने योगी और मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए, वहीं मौजूद अभिनव त्रिपाठी नाम के व्यक्ति ने ये दावा कर दिया कि समाजवादी पार्टी 400 से अधिक सीटें जीतेगी. इसके बाद योगी के समर्थकों और अखिलेश के सपोर्टर्स के बीच जमकर बहस छिड़ गई.
बनारस में चप्पे-चप्पे पर राजनीति है. इस सियासी मिजाज को भापने के लिए बनारस को जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि यहां पान... सिर्फ पान नहीं, लोगों की जान है और काशी की शान है, पहचान है. जब बनारसी पान की बात आती है तो किसी भी फ्लेवर का पान हो, इसके आगे नहीं टिकता. वजह शायद बताने की जरूरत नहीं है. बनारस और उत्तर प्रदेश की जनता आगामी चुनाव में किस नेता को चूना लगाएगी और किसे कत्था वाला जबरदस्त पान खिलाएगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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