Bengal Election: कहां से आया सीएम ममता का शांडिल्य गोत्र, जानिए इसकी पूरी कहानी
नंदीग्नाम में चुनावी मंच सीएम ममता मंगलवार को अपना गोत्र बताने लगीं. उन्होंने पहले कहा कि वह मां-माटी-मानुष गोत्र की हैं, लेकिन वास्तविक गोत्र शांडिल्य है. शांडिल्य गोत्र सनातनी गोत्र परंपरा में क्या स्थान रखता है और कितना महत्वपूर्ण है, जानिए सबकुछ.
नई दिल्लीः पं. बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta) मंगलवार को नंदीग्राम में थी. नंदीग्राम (Nandigram) वही जगह है जहां 1 अप्रैल को मतदान होना है और सीएम ममता बनर्जी (CM Mamta) की किस्मत भी EVM में कैद होने वाली है. इसी उधेड़बुन में वह वहां रैली कर रही थीं. अब तक अपने आपको BJP के हिंदू धर्म से अलग बताती आईं ममता दीदी मंच से अपना गोत्र बताने लगीं.
मुख्यमंत्री ने कहा, ''दूसरे फेज के कैंपेन के दौरान मैं एक मंदिर गई थी. जहां पर पुजारी ने मुझसे मेरा गोत्र पूछा. मैंने उन्हें- मां-माटी-मानुष बताया. उन्होंने कहा कि जब मैं त्रिपुरा के त्रिपुरेश्वरी मंदिर गई थी और वहां पर भी पुजारी ने मुझसे मेरा गोत्र पूछा था.
उस दौरान भी मैंने मां-माटी-मानुष ही बताया था. फिर उन्होंने अलग से जिक्र करते हुए कहा कि वास्तव में मेरा गोत्र शांडिल्य (Shandilya) है.
सीएम ममता ने कहा-मेरा गोत्र शांडिल्य
खैर, चुनावी मौसम है तो इसका असर होना ही है. आप कुछ भी बन बदल सकते हैं. वह अलग मुद्दा है, लेकिन जिस शांडिल्य (Shandilya) गोत्र का जिक्र सीएम ममता (CM Mamta) ने किया है वह इतना भी आसान नहीं है कि आपने अपना गोत्र बता दिया.
यह ठीक वैसा ही है जैसे- जॉली LLB-2 फिल्म में अक्षय कुमार का किरदार कठघरे में साधु बने खड़े इकबाल कादरी (असल में आतंकी) से जाति-गोत्र के सवाल करता है और आखिर में वह अटक जाता है. या अल्लाह, इससे आगे भी कुछ होता है क्या?
सप्तऋषियों से होती है गोत्र की उत्पत्ति
गोत्र की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए पहले प्राचीन वैदिक काल में ही चलते हैं.
सबसे पहले गोत्र की उत्पत्ति सप्तऋषियों के नाम से होती है. इनमें अत्रि, भारद्वाज, भृगु, गौतम, कश्यप, वशिष्ठ और विश्वामित्र आते हैं. हालांकि ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ शतपथ ब्राह्मण और महाभारत की भूमिका में वर्णित सप्तऋषियों के नामों में थोड़ा अंतर हो जाता है.
इसमें कुछ नाम और जोड़ जाते हैं. कुछ जगहों पर उल्लेख है कि अलग-अलग समय में अलग सप्तऋषि रहे हैं और यह एक पदवी का नाम है.
11 ऋषियों की वंशावली चली
ऐसे में 11 ऋषियों के नाम सामने आते हैं जिन्होंने प्राचीन वंश परंपरा का आधार रखा और उन्हीं की वंशावलियों से गोत्र की उत्पत्ति हुई. इन ग्यारह नामों में गौतम, भरद्वाज, जमदग्नि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, कश्यप, अत्रि, अंगिरा, पुलस्ति, पुलह, क्रतु शामिल हैं.
इन नामों की खास विशेषता यह है कि इनका जिक्र सभी वैदिक ग्रंथों में समान रूप से मिलता है. व्यास मुनि द्वार जब वेदों का विभाजन किया गया और 18 पुराण लिखे गए उनमें भी इन 11 ऋषियों और उनके ही कुलों के जरिए पृथ्वी पर विकास की बात कही गई है.
इनमें तैतरीय ब्राह्मण, गोपथ ब्राह्मण और पुराण ग्रंथ खास हैं.
एक सवाल, गोत्र का अर्थ क्या है?
गोत्र जिस तरह का शब्द है वह कहीं न कहीं गाय से जुड़ा दिखता है. विद्वानों की मानें तो संभवतः यह शब्द गो पुत्र के अर्थ की ओर इशारा करता है.
इसके साथ ही गो रक्षक, गोरक्षा से भी संबंधित लगता है. यह मान्यता सटीक के करीब इसलिए है, क्योंकि आज तक की भी पीढ़ी में भारतीय समाज गाय को माता ही मानता है और उसे पवित्र भी.
सृष्टि के विकास के समय में ऋषि परंपरा में गाय का महत्व अधिक रहा ही होगा और ऋषियों ने प्रतीक रूप में गाय को मान्यता दी होगी, इस तरह चिह्न के रूप में गोत्र शब्द मिला होगा.
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आते हैं शांडिल्य गोत्र पर, ये कहां से शुरू हुआ?
सप्तऋषियों में एक प्रसिद्ध ऋषि हुए कश्यप. कश्यप ऋषि के ही पुत्र देवता और दानव, सुर और असुर, यक्ष और गंधर्व हुए हैं. इनके प्रथम 12 पुत्र आदित्य कहलाए क्योंकि वे उनकी पत्ति अदिति के पुत्र थे.
दूसरे अन्य पुत्र जो उनकी पत्नी दिति से हुए वह दैत्य कहलाए. इन्हीं कश्यप ऋषि की वंश परंपरा में महर्षि देवल के पुत्र हैं ऋषि शांडिल्य (Shandilya). शांडिल्य ऋषि (Shandilya) का वर्णन महाभारत के प्रसंगों में खूब मिलता है,
हालांकि आश्चर्यजनक ढंग से शांडिल्य ऋषि (Shandilya) का वर्णन मत्स्य पुराण में भी मिलता है.
यहां मिलता है शांडिल्य गोत्र का वर्णन
इस वर्णन के मुताबिक, महर्षि कश्यप के पुत्र असित, असित के पुत्र देवल हुए, जिन्हें मंत्र दृष्टा की उपाधि मिली. कहते हैं कि वह मंत्रों को मानवी रूप में देखपाने मं सक्षम थे.
इसी वंश में ऋषि शांडिल्य (Shandilya) उत्पन्न हुए, जिन्होंने वंश और गोत्र परंपरा में और वृद्धि की. महाभारत अनुशासन पर्व में जो जिक्र मिलता है उसके मुताबिक, चक्रवर्ती सम्राट बने युधिष्ठिर की सभा में सम्मान पाने वाले ऋषियों में शांडिल्य (Shandilya) प्रमुख थे.
लेकिन ऋषि का इससे पहले वर्णन त्रेतायुग में भी मिलता है, जहां वह श्रीराम से कई पीढ़ी पहले राजा रहे दिलीप के राजपुरोहित भी हैं.
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कई मुख्य भूमिकाओं में ऋषि शांडिल्य
इसके अलावा शांडिल्य ऋषि (Shandilya) राजा त्रिशंकु के भी प्रमुख पुरोहित रहे हैं, तो महाभारत में भीष्म के साथ भी मंत्रणा करते दिखते हैं.
यहां तक कि आधुनिक युग कलयुग के प्रारंभ से ठीक पहले राजा जनमेजय के पुत्र शतानीक हुए जिनके लिए शांडिल्य ऋषि (Shandilya) ने पुत्रेष्ठि यज्ञ हुआ.
वैदिक इतिहास में इतना महत्व रखने वाले शांडिल्य (Shandilya) बाद में खुद ही उपाधि बन गए और उनके अनुयायी ऋषियों और कुल ने उन्हें पदवी की तरह मान लिया. कालांतर में यही उपाधि बाद में गोत्र कहे जाने में बदल गई होगी, जैसा कि गौतम, कश्यप और भृगु ऋषि के साथ हुआ. तीनों के वंश और गोत्र उनके ही नाम से जाने जाते हैं.
ऋषि के 12 पुत्रों से चला गोत्र
शांडिल्य (Shandilya) गोत्र को और बारीकी से देखें तो उनके वंश परंपरा में 12 पुत्र बताए जाते हैं, जहां से गोत्र की अवधारणा को जगह मिली. यह 12 पुत्र 12 अलग-अलग गांवों में गढ़ की तरह प्रभुत्व रखते हैं. इनमें सांडी, सोहगौरा, संरयां
,श्रीजन, धतूरा, भगराइच, बलूआ, हरदी, झूडीयां, उनवलियाँ, लोनापार, कटियारी गांव शामिल हैं. इन्हीं बारह गांवों से आज हर क्षेत्र में इनका गमन (जाना) और विकास हुआ.
मान्यता के अनुसार ये सरयूपारीण ब्राह्मण हैं. इनका गोत्र श्री मुख शाण्डिल्य- त्रि -प्रवर है, श्री मुख शाण्डिल्य में घरानों का प्रचलन है, जिसमें 'राम घराना', 'कृष्ण घराना', 'नाथ घराना', 'मणी घराना' है. इन चारों का उदय सोहगौरा (गोरखपुर) से है. यहां वर्तमान में भी इनका अस्तित्व मिलता है.
शांडिल्य गोत्र के दो भेद भी हैं
शांडिल्य गोत्र के दो भेद भी बताए जाते हैं. इनमें एक हैं श्रीमुख शांडिल्य (Shandilya) और दूसरा है गर्धमुख शांडिल्य (Shandilya). दोनों के ही तीन-तीन प्रवर भी होते हैं.
श्रीमुख के तीन प्रवर शांडिल्य,असित और कश्यप हैं. गर्धमुख के तीन प्रवर शांडिल्य,असित और देवल हैं. स्थान के अनुसार मिश्र, त्रिपाठी, दीक्षित आदि उपनामों और वंशावली वाले लोग शांडिल्य गोत्र के अलग-अलग प्रवर में आते हैं.
राजनीति में गोत्र का मुद्दा केवल चुनावी है. बीते लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी भी जनेऊधारी हो गए थे और अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था. अब बंगाल चुनाव में सीएम ममता शांडिल्य गोत्र बता रही हैं. गोत्र का गणित चुनावी जीत का सवाल हल कर पाएगा, ये तो 2 मई का चुनावी राशिफल ही बता पाएगा.
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