नंदीग्राम: पं. बंगाल (West Bengal) चुनाव के मद्देनजर नंदीग्राम में 1 अप्रैल को चुनाव होना है. चुनावी समर के इस मैदान में सीधी-सीधी नजर डालें तो एक तरफ व्हील चेयर पर बैठीं ममता दिख रही हैं तो दूसरी ओर BJP के रथ पर सवाप शुवेंदु अधिकारी. कहने वाले कह रहे हैं कि बिल्कुल आमने-सामने की लड़ाई है और इसका नतीजा 2 मई की तारीख बताएगी.
लेकिन असल राजनीतिक पंडित थोड़ा रुक जाते हैं. कुछ दूर और नजर दौड़ाते हैं, जहां माकपा की उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी भी खड़ी दिख रही हैं. बीते 14 साल से अपनी पार्टी की छिनी हुई जमीन वापस पाने मैदान में आईं मुखर्जी यह साबित कर रही हैं, कि ये मामला आमने-सामने का नहीं त्रिकोणीय है.
मुखर्जी दे रही हैं कड़ा मुकाबला
यानी कि माकपा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी नंदीग्राम की इस लड़ाई में त्रिकोण पैदा कर सकती हैं, जिसका असर 2 मई को दिखने के आसार हैं. मुखर्जी इस बार रोजगार और औद्योगीकरण का वादा लेकर चुनाव में उतरी हैं और निर्वाचन क्षेत्र में पहचान की राजनीति को कड़ा मुकाबला देने के सभी उपाय कर रही हैं.
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एक अप्रैल, बड़ी चुनौती का दिन
एक मीडिया साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि 'तृणमूल और कांग्रेस इस भ्रम में हैं कि नंदीग्राम में उम्मीदवारों के ध्रुवीकरण का नतीजा उनके पक्ष में होगा लेकिन सच यह है कि यहां लोग रोजगार चाहते हैं. भाजपा और तृणमूल दोनों युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न करने में विफल रहे हैं. इस विफलता का जवाब किसी भी तरह से ध्रुवीकरण नहीं हो सकता.'
मुखर्जी ने कहा कि एक अप्रैल को होने वाले चुनाव में उनके सामने बड़ी चुनौती है क्योंकि उन्हें दो दिग्गज नेताओं का सामना करना है.
माकपा की खोई जमीन पाना जरूरी: मीनाक्षी
उन्होंने कहा, 'यह लड़ाई ध्रुवीकरण के खिलाफ है और इससे बंगाल में एक संदेश जाएगा. बंगाल के युवाओं को किसी भी और चीज से ज्यादा रोजगार चाहिए, राज्य को निवेश चाहिए.'
मुखर्जी ने कहा कि कृषि आधारित क्षेत्रों में पार्टी का पुराना दमखम फिर से बनाने के लिए माकपा की खोई हुई जमीन वापस हासिल करना जरूरी है.
भूमि अधिग्रहण आंदोलन में जलाया गया था ऑफिस
नंदीग्राम बाजार में स्थित पार्टी के दो मंजिला कार्यालय को 2007 में भूमि अधिग्रहण आंदोलन के दौरान आग लगा दी गई थी जिसके बाद उसे फिर से बनाया गया और 2019 में पुनः खोला गया.
इसी कार्यालय में बैठकर मुखर्जी को लगता है कि तृणमूल और भाजपा दोनों ने अपने राजनीतिक हित के लिए स्थानीय लोगों को भ्रमित किया है.
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जीतीं तो राज्य में वापस लाएंगीं निवेशः मीनाक्षी
उन्होंने कहा, 'अब आप रहस्यों का खुलासा होते देख रहे हैं. नंदीग्राम आंदोलन स्थानीय लोगों को भ्रमित करने के लिए किया गया था. लोगों को इसका एहसास हो रहा है. वे हर जगह मेरा समर्थन कर रहे हैं.'
मुखर्जी ने कहा, 'अगर हम जीतते हैं तो हम राज्य में निवेश वापस लाने के लिए काम करेंगे. इस बार लोग हमारे समर्थन में हैं. वे कभी उद्योग के खिलाफ नहीं थे. उन्हें एक झूठे आंदोलन से भ्रमित किया गया.'
कुल्टी वर्धमान की हैं मीनाक्षी मुखर्जी
मूलरूप से कुल्टी वर्धमान की रहने वाली मीनाक्षी मुखर्जी की शिक्षा आसनसोल से हुई है. वह 2018 से डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष भी हैं. डीवाईएफआई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्स) की एक संबद्ध युवा शाखा है. इसमें वह लोकल स्तर पर 2008 में बतौर सदस्य शामिल हुई थीं. साल 2019 में CAA और NRC के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों में उन्होंने भाग लिया था.
बर्धवान विश्वविद्यालय से हुई पढ़ाई
1984 में जन्मीं 37 साल की मीनाक्षी ने बर्धवान विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की है. यहां से उन्होंने 2005 में ग्रेजुएट, 2007 में पोस्ट ग्रेजुएट और 2010 में B.ED किया है. मीनाक्षी को नौकरियों की मांग करते हुए कोलकाता में आयोजित युवा मार्च के दौरान लाठी-चार्ज का सामना करते भी देखा गया था, जिसके बाद वह काफी चर्चा में आईं थीं.
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