Bihar Election: चार बड़े कारणों ने नहीं बनने दी तेजस्वी की सरकार
बिहार की चुनावी जमीन पर कई कारण हो सकते हैं महागठबन्धन की हार के, लेकिन चार मुख्य कारण हैं जो बाधा बन कर अड़ गये तेजस्वी और बिहार के मुख्यमन्त्री की कुर्सी के बीच..
नई दिल्ली. बिहार चुनाव परिणाम लगभग पूरे सामने आ चुके हैं. एनडीए ने विजयश्री का वरण किया है और नितीश कुमार सातवीं बार बिहार के मुख्यमन्त्री बनने जा रहे हैं. मायूसी में डूबे हुए पराजित खेमे में पराजय के कारणों पर अधिक विचार-विमर्श नहीं होने वाला है क्योंकि वे जानते हैं कि पहले ही उनको उम्मीद से ज्यादा वोट मिल गये हैं. फिर भी गौर करने पर चार बड़े कारण साफ दिखाई देते हैं जिन्होंने तेजस्वी को मुख्यमन्त्री नहीं बनने दिया.
पहला कारण हैं पीएम मोदी
पीएम मोदी हैं विजय का आश्वासन. मोदी हैं जीत की गारंटी. वे जिधर होते हैं जहां होते हैं जीत वहीं होती है. बिहार की जनता को देश की जनता की भांति ही पीएम मोदी पर पूर्ण विश्वास है. सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का नारा देने वाले पीएम मोदी ने बिहार की जनता से अनुरोध किया था कि सुशासन और विकास को वोट दें और जनता ने उनकी अपील को समर्थन दिया.
दूसरा कारण हैं लालू
लालू जेल में हैं और जेल में इसलिए हैं क्योंकि भैंसों के चारे के लिए आये पैसे को खा गए और फिर क़ानून उनको खा गया. जेल गए तो ऐसे गए कि राजनीति से उखड़ गए. एक बेटा राजनीतिक रूप से अक्षम निकला तो दूसरा सक्षम. सक्षम बेटे ने राजनीति की शुरुआत तो अच्छी की है किन्तु पिता की छाया और उनके कर्मों का भुगतान उसे ही करना पड़ रहा है. लालू राबड़ी द्वारा दिया गया जंगलराज बिहार कभी भुला नहीं सकता. ऐसे में जंगलराज के युवराज तेजस्वी को वापसी कैसे करने दे सकता है बिहार का वोटर?
ये भी पढ़ें. पांच सीटें जीत कर ग्यारह हरवा दीं ओवैसी ने
तीसरा कारण हैं ओवैसी
ओवैसी पर तो कांग्रेस के अधीर नेता अधीर रंजन चौधरी ने सीधा आरोप जड़ दिया है कि वे बीजेपी का मोहरा बन कर बिहार चुनाव में उतरे थे और अपने काम को अंजाम देने में कामयाब रहे. इसमें आधी बात गलत और आधी बात सही कही है उन्होंने. ओवैसी बीजेपी का मोहरा तो बिलकुल नहीं हैं किन्तु उनके आने से बीजेपी नीत एनडीए का मार्ग काफी प्रशस्त हुआ है. मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करके उन्होंने बीजेपी और जेडीयू के विरोधियों के वोट जम कर काट डाले और पांच सीटें जीत कर दस से ज्यादा निर्णायक सीटें हरवा दीं महागठबंधन को.
Bihar Election: महागठबंधन हुआ धराशायी, फिर से नितीश की सरकार आई
चौथा कारण हैं चिराग
चिराग पासवान भी एक समझदार युवा नेता के रूप में उभर रहे हैं और यदि तुलना की जाए तो एक नेता के तौर पर वे तेजस्वी से कुछ अधिक परिपक्व युवा नेता हैं. रामविलास पासवान की जड़ें बिहार में बहुत गहरी हैं. उनके बेटे को जनसमर्थन अपने पिता की दम पर मिलना ही था. भले ही उनकी पार्टी लोजपा ने एक सीट जीती है किन्तु उन्होंने तेजस्वी को कई सीटें नहीं जीतने दी हैं. पिछड़े वर्गों के वोटों को बाँट दिया चिराग ने और एक बड़े पिछड़े वोटों के चंक को अपनी तरफ आकर्षित करके तेजस्वी की पार्टी को जा रहे वोटों को कम कर दिया.
ये भी पढ़ें. ओवैसी के कारण हार हुई तेजस्वी की
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप, जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-
Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN
iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234