नई दिल्ली: राजधानी पर लोकसभा में विजय प्राप्त कर चुकी भाजपा विधानसभा में 20 साल का वनवास तोड़ना चाहती है. पार्टी ने इसके लिए तमाम हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं. चुनाव की तारीखों से पहले भाजपा के खेवैया गृहमंत्री अमित शाह चुनाव अभियान की तैयारियों में कुछ आक्रामकता डालने की तैयारी में हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अब दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र देने की तैयारी में हैं.


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गृहमंत्री अमित शाह रविवार को पार्टी के तकरीबन 30 हजार कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और उन्हें चुनाव में प्रचार-प्रसार करने के तरीकों का मूलमंत्र देंगे.


शाह ने रखा है 51 प्रतिशत वोट शेयर पाने का लक्ष्य 


ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है. गृहमंत्री जो पारंपरिक तरीके से चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए ख्याति प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने इससे पहले भी इस तरह से कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया है. शाह हर चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को 'बूथ जीतो-चुनाव जीतो' का टिप्स देते हैं. गृहमंत्री अमित शाह इस सम्मेलन के जरिए विधानसभा चुनाव में 51 प्रतिशत वोट शेयर के लक्ष्य को कैसे पाया जाए, उसका तरीका बताते नजर आ सकते हैं.



उधर चुनाव के पहले यह चर्चाएं सुर्खियों में है कि आप और कांग्रेस में गठबंधन हो सकता है. इसे लेकर गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति भी कुछ ऐसी होगी जो दोनों ही सूरतों में भाजपा को बढ़त दिलाने वाली हो.


जीत की सीढ़ी होती है बूथ मैनेजमेंट


अमित शाह रविवार साढ़े 11 बजे से इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में बूथस्तरीय कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं. कार्यक्रम में उनके अलावा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे. शाह हर चुनाव से पहले बूथस्तरीय कार्यकर्ताओं को यह नारा देते आए हैं कि जीत की सीढ़ी बूथ से शुरू होती है. अगर हर बूथ प्रभारी अपने बूथ पर पार्टी की साख बचाए रखने में सफल रहता हो तो जीत सुनिश्चित है.


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दिल्ली में बंपर जीत की तैयारी में है भाजपा


पार्टी की दिल्ली इकाई के नेता ने कहा कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में अध्यक्ष अमित शाह ने 51 प्रतिशत वोट शेयर पर फोकस कर यूपी जैसे राज्य में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद बंपर जीत दिलाई, उसी तर्ज पर दिल्ली में भी चुनाव लड़ी जा रही है. भाजपा चाहती है कि हर सीट पर उसे इतना वोट मिले कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मिला कर भी देखा जाए तो वोटों की संख्या उनसे ज्यादा हो.