नई दिल्ली: नए साल की शुरुआत हो चुकी है और ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान इसी सप्ताह हो जाएगा. ऐसे मौके पर चुनाव की तारीखों के एलान के पहले ही केंद्र सरकार ने अनऑथराइज्ड कॉलोनी यानी अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को रजिस्ट्री देना शुरू कर दिया है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रमुख रहा है यह मुद्दा
दिल्ली में जब जब चुनाव होते हैं तक तब अनऑथराइज्ड कालोनियों का मुद्दा चुनाव में हावी होता जाता है. बीते चार दशक से हर राजनीतिक पार्टी अनऑथराइज्ड कॉलोनी में रहने वाले लोगों को उनके घर का मालिकाना हक देने का लिए वादा करती आईं हैं. इसके पहले कांग्रेस ने 2008 में प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांट कर दिल्ली के विधानसभा चुनाव जीते थे, लेकिन लोगों के घरों की रजिस्ट्री कभी नहीं हो पाई. बाद के चुनाव में भी हमेशा अनऑथराइज्ड कॉलोनी का मुद्दा चुनाव में उठता रहा है.
अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके पहले ही मोदी सरकार ने बाकायदा कानून बनाकर दिल्ली की अनऑथराइज्ड कॉलोनियों को कानूनी रूप से वैध करने की शुरुआत की है. उसी प्रक्रिया में लोगों को उनके घर की रजिस्ट्री दी जा रही है. शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने DDA के जरिए आज रजिस्ट्री बांटने की शुरुआत कर दी है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा रजिस्ट्री के पैसे से बनेगा डेवलपमेंट फंड
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि काफी समय से लोगों को गुमराह किया जा रहा था और अब जो अवैध कालोनियों में रहते हैं, आज उन्हें मालिकाना हक दिया जा रहा है.
प्लॉट की रजिस्ट्री भी हो गयी है. आज 20 लोगों को रजिस्ट्री दी जा रही है. अभी तक 57 हजार आवेदन आ चुके हैं रजिस्ट्री के लिए. पुरी ने कहा कि रजिस्ट्री प्रक्रिया में जो पैसा इकट्ठा होगा, उससे स्पेशल डेवलपमेंट फंड बनेगा जिससे सड़क और दूसरी सुविधाएं दी जाएंगी. रजिस्ट्री प्रकिया में जो रेट डीडीए रखना चाहेगी उसकी डिटेल्स वेबसाइट पर दे दी जाएगी.
आज जिन 20 लोगों को रजिस्ट्री के कागजात दिए गए वो सभी रोहिणी विधानसभा क्षेत्र के लोग हैं. उनमें से खासकर सूरज पार्क और राजा विहार कॉलोनी के लोग शामिल थे. संसद के विशेष सत्र में ही केंद्र सरकार दिल्ली की अनऑथराइज्ड कॉलोनी को लेकर कानून बना चुकी है, जिसके तहत अब दिल्ली की 1731 कालोनियों में रहने वाले लोगों को उनके घर का कानूनी रूप से मालिकाना हक मिलने वाला है.
क्यों जरूरी हो गया है इन अवैध कॉलोनियों का रजिस्ट्रीकरण ?
आपको बता दें कि अभी तक यह दिक्कत होती थी कि जो लोग भी इन कालोनियों में रहते थे, हमेशा उन पर MCD की तलवार लटकी रहती थी. कारण कि यह अनऑथराइज्ड निर्माण माना जाता था और नगर निगम समय-समय पर इन कंस्ट्रक्शन के खिलाफ कार्रवाई करती भी रहती थी.
दूसरी बड़ी दिक्कत इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को यह थी कि ना तो अनऑथराइज्ड कॉलोनी में मकानों की रजिस्ट्री होती थी और ना ही बैंक का लोन मिलता था, यानी वहीं व्यक्ति इस इलाके में मकान खरीद सकता था जिसके पास नकद पैसा हो लिहाजा यह बड़ी दिक्कत भी समाप्त हो गई है.
इन कॉलोनियों में सबसे बड़ी समस्या यह थी की बुनियादी सुविधाओं का अभाव था सड़क, सीवर पानी इन समस्याओं से लोग हमेशा सोचते थे, क्योंकि कानूनी रूप से इन इलाकों में कोई निर्माण कार्य करने में हमेशा समस्या आती थी. अब इन कॉलोनियों में विकास के काम भी होना शुरू हो जाएंगे और इस पूरे इलाके की तस्वीर बदलेगी।
कॉलोनियों को वैधता देने की प्रक्रिया शुरू करने वाली पहली पार्टी है भाजपा
भाजपा यह मानकर चल रही है कि मोदी सरकार के कानून बनाने से इसका फायदा उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में होगा. अभी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है इसके पहले 15 साल तक कांग्रेस की सरकार रही है. केंद्र सरकार के इस कदम पर आम आदमी पार्टी ने पहले ही एक राजनीतिक कदम बता चुकी है और यह हकीकत में सपना दिखाने की तरह बता रही है. आने वाले चुनाव में इस पर सियासत और भी तेज होगी क्योंकि इन कॉलोनियों में 40 लाख से ज्यादा वोटर रहते हैं जिन पर हर राजनीतिक पार्टी की नजर रहती है. इनके सहारे बीते चुनाव में हर पार्टी कॉलोनी पक्का करने का नारा देकर चुनाव जीतती आई है.