पटना: बिहार चुनाव में सीटों का बंटवारा बड़ा सिरदर्द बना हुआ है...महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीटों को लेकर तल्खी बढ़ती जा रही है. RJD का ऑफर कांग्रेस को मंज़ूर नहीं.दिल्ली में कांग्रेस की बैठक के बाद पार्टी के बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल ने चुनाव में अलग राह पकड़ने की धमकी दे दी है...अब नए फॉर्मूले पर माथापच्ची जारी है. 


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महागठबंधन से अलग होगी कांग्रेस? 


कांग्रेस के बागी तेवर के बाद महागठबंधन अधर में लटक गया है. सूत्रों के मुताबिक जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा के बाद अब कांग्रेस भी महागठबंधन से अलग होने की तैयारी में है...दरअसल सीटों के बटवारे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है...कांग्रेस इस बार ज़्यादा सीटों की मांग कर रही है जिसे लेकर पेंच फंसा हुआ है. 


दिल्ली में बिहार के नेताओं के साथ कांग्रेस की मैराथन बैठक के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने साफ कहा कि महा गठबंधन में अगर कुछ ऊपर नीचे होता है तो हम अपने अन्य दलों के साथ चुनाव में जाने को तैयार हैं. कुछ दिन पहले ही बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय ने भी सम्मानजनक सीटें न मिलने पर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था...हालांकि अभी कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने कहा है कि बातचीत जारी है और कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा.


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कांग्रेस आरजेडी में बयानबाज़ी 


फिलहाल कांग्रेस और आरजेडी दोनों ही दबाव की रणनीति पर काम कर रही हैं...बयानबाज़ी का दौर जारी है और एक दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं...सीट बटवारे का फॉर्मूला कांग्रेस को मंज़ूर होता है या वो महागठबंधन से अलग होती है...उससे पहले ही आरजेडी ने कांग्रेस को नसीहत दी है कि वो बड़प्पन दिखाए और दबाव बनाने से बाज़ आए...आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद सिंह ने कहा कि आरजेडी हमेशा कांग्रेस के साथ खड़ी रही लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की पीएम उम्मीदवारी का समर्थन किया लेकिन कांग्रेस अब आरजेडी की ही गर्दन दबाने में लगी है...  


RJD का सीट शेयरिंग फॉर्मूला  


जानकारी के मुताबिक तेजस्वी के पहले फॉर्मूले में कांग्रेस को 58 विधानसभा सीट और वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट का ऑफर दिया गया लेकिन कांग्रेस के उसे नहीं मानने के बाद तेजस्वी ने दूसरा फॉर्मूला दिया जिसमें कांग्रेस की सीटें 58 से बढ़ाकर 64 कर दी गई है...इसके अलावा कांग्रेस को ये भी कहा गया है कि वो आरजेडी के टिकट पर अपने 5 उम्मीदवार को चुनाव में उतारे...कांग्रेस की ओर से 70 से 75 सीटों की मांग की जा रही है... कांग्रेस ने साफ कर दिया इससे कम सीट पार्टी को मंजूर नहीं.


2015 चुनाव की बात करें तो कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 27 सीटों पर जीती थी. आरजेडी 101 पर लड़ी थी 80 जीती थी जबकि जेडीयू 101 पर लड़ी थी 71 जीती थी.


 महागठबंधन से पहले जेडीयू फिर RLSP और HAM जैसी पार्टियों के बाहर होने के बाद कांग्रेस ज़्यादा फायदा उठाने की ताक में है इसीलिए आरजेडी को आंख दिखा रही है...दरअसल आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार के छोटे दलो के वोट का बिखराव रोकने के लिए अपने साथ महागठबंधन में जोड़ा था...लेकिन लालू के जेल जाने और उनके बेटे तेजस्वी के कमान संभालने के बाद से ही महागठबंधन में शामिल कई दल तेजस्वी के रवैये से नाराज़ होकर साथ छोड़ गए...ले देकर तेजस्वी के पास कांग्रेस बची है जिसकी अपनी मजबूरी है. 


यूपी बिहार जैसे राज्यों मे कांग्रेस बिना बैसाखी चलने की सोच नहीं सकती...इसलिए उसे तेजस्वी और अखिलेश यादव की ज़रूरत पड़ती है...क्या कांग्रेस की ज़्यादा सीटों की मांग आरजेडी मानेगी या महागठबंधन का दी एंड हो जाएगा...फिलहाल बैठकों का दौर जारी है और जल्द ही इस पर से पर्दा उठने की उम्मीद है.


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