नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को अपने राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में सत्ता में आने पर देश में घृणा अपराधों को रोकने के लिए कानून लाने का वादा किया है. प्रस्ताव में कहा गया, बीजेपी सरकार के पिछले साढ़े आठ सालों में नफरत की राजनीति ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है और धार्मिक ध्रुवीकरण अपने चरम पर पहुंच गया है. नफरत (घृणा) के अपराध और अत्याचार कई गुना बढ़ गए हैं.


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कांग्रेस का वादा- सत्ता में आएंगे तो बनाएंगे ये कानून
कांग्रेस ने दावा किया कि विजलैन्टी राइट विंग समूह विभिन्न तुच्छ मुद्दों पर हिंसा भड़काते हैं. ये समूह बेखौफ होकर काम करते हैं और अराजकता एवं भय फैलाते हैं. अल्पसंख्यकों के मन में यह डर भाजपा/आरएसएस शासन का लक्ष्य है.


आगे कहा गया है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, यह स्पष्ट था कि अधिकांश भारतीय प्रेम, शांति और सद्भाव के लिए तरसते हैं. कांग्रेस ने कहा कि वह 'वसुधैव कुटुम्बकम' के हमारे सभ्यतागत सिद्धांत में विश्वास करती है, जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है.


अल्पसंख्यक भारत की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा हैं. उन्हें उपेक्षित करना, हाशिए पर रखना और उन्हें अलग-थलग करना अमानवीय है और यह भारत की एकता और अखंडता पर प्रहार रता है.


'समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ बढ़े हैं अपराध'
कांग्रेस ने आगे कहा कि भाजपा, आरएसएस और उनके सहायकों द्वारा पोषित और प्रचारित नफरत की संस्कृति सभी धर्मों के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है. हमें प्रत्येक भारतीय के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने की आवश्यकता है, चाहे उनका क्षेत्र, धर्म, जाति, वर्ग या लिंग कुछ भी हो.


यह भी कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं. एनसीआरबी के अनुसार, 2021 में अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचार में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. दलित और आदिवासी महिलाओं के खिलाफ हिंसा भी बढ़ी है.


रिपोर्ट किए गए कुल मामलों में नाबालिगों सहित अनुसूचित जाति की महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामले 7.64 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के मामले 15 प्रतिशत हैं. पार्टी ने आगे कहा कि घृणा अपराधों को रोकने और दंडित करने के लिए कांग्रेस एक नया कानून पारित करेगी.


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