पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले ही राजनीतिक माहौल तैयार किया जाने लगा है. शायद इस फिराक में कि साथी दलों पर और विरोधी दलों पर दबाव बनाया जा सके. अब इस कड़ी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के पहले महागठबंधन से 85 सीटों की मांग कर दी है. इसके बाद यह लगभग तय है कि महागठबंधन के अंदर बवाल खड़ा होने ही वाला है.


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महागठबंधन की सबसे बड़ी राजनीतिक दल राजद और कांग्रेस को हम प्रमुख की यह मांग बेतुकी ही लग रही होगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या जीतनराम मांझी वाकई में बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 85 सीटों पर दावा ठोंकना चाहते हैं या सिर्फ महागठबंधन के अंदर खलबली पैदा करने के लिए इस तरीके का पासा फेंक रहे हैं ?


तेजस्वी को महागठबंधन के घटक दलों से किस बात का है डर ?


जवाब ढूंढना बिल्कुल आसान है. दरअसल, बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के पांच दलों का प्रतिनिधित्व क्या होगा, इसकी चर्चा लगातार चल रही है. महागठबंधन में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही समन्वय की कमी साफ नजर आती है. उधर, राजद के वर्तमान के सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव को इस बात का डर सताता है कि कहीं महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर घटक दल उनके खिलाफ लॉबी न करने लग जाएं.



कहा तो यह भी जाने लगा था कि तेजस्वी ने इसका तोड़ भाजपा से नजदीकी के रूप में निकाल लिया है. हालांकि, कई बार मंचों से उन्होंने इस बात को अफवाह करार दिया है. 


बदले-बदले हैं कुशवाहा के तेवर


इसके अलावा महागठबंधन के एक और घटक दल रालोसपा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति एक नए ही कलेवर में नजर आने लगी है. कुशवाहा एनडीए से अलग हो कर महागठबंधन से जा मिले थे, लेकिन अब वे राजद के खिलाफ ही महागठबंधन के साथी दलों को साथ मिला कर मोर्चेबंदी करने में लग गए हैं. दरअसल, कुशवाहा का मानना है कि महागठबंधन के अंदर सीएम पद का उम्मीदवार उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता. ऐसे में जीतनाराम मांझी का अपने तरीके से दबाव बनाने की उधेड़-बुन में लगना कोई राजनीतिक नासमझी नहीं हो सकती.


मांझी का यह है प्लान 


अब इसको कुछ ऐसे समझिए कि हम प्रमुख जीतनराम मांझी इस बात को भलिभांति समझते हैं कि राजद के तेजस्वी यादव और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा के रहते हुए महागठबंधन की ओर से, अगर गठबंधन विधानसभा चुनाव तक टिका रहा, तो कोई भी सीएम पद का उम्मीदवार नहीं माना जाएगा. ऐसे में मांझी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपना अधिकार जताने की कोशिश में लगे हुए हैं, ताकि चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन पर दबाव बना पाने की स्थिति में होगी. 


सीएम पद का कौन होगा उम्मीदवार पर क्या बोले मांझी ?


हालांकि, जीतनराम मांझी से जब यह सवाल पूछा गया कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा ? तो उन्होंने जवाब दिया कि इसपर सभी घटक दल बैठकर बातचीत करेंगे और समन्वय समिति ही यह तय करेगी. किसी भी एक व्यक्ति या एक दल के निर्णय से यह तय नहीं होता.



मालूम हो कि बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले विधानपरिषद का भी चुनाव होना है. इसको लेकर महागठबंधन के घटक दलों में कुछ खास उत्साह नहीं नजर आ रहा है. राजद ने तो यहां तक कह दिया कि विधानपरिषद चुनाव के मायने बहुत कम ही हैं. असल परीक्षा विधानसभा में होगी.