Haryana Result: फंसे हुए चुनाव जिताने वाले पीएम मोदी ने हरियाणा में नहीं किया धुआंधार प्रचार, फिर भी कांग्रेस की लहर के बीच बीजेपी ने कैसे `पलटा` चुनाव
Haryana Election Result 2024: पूरे चुनाव के दौरान हरियाणा में अपनी जीत के लिए काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रही कांग्रेस को रुझानों से झटका लगा तो वहीं बीजेपी एंटी इन्कम्बेंसी से निपटती नजर आई. अहम सवाल यह है कि हरियाणा में पीएम मोदी ने धुआंधार प्रचार नहीं किया, इसके बाद भी कैसे बीजेपी हरियाणा चुनाव की बाजी पलटते दिखी.
नई दिल्लीः Haryana Election Result 2024: हरियाणा में चुनाव प्रचार से लेकर एग्जिट पोल आने तक ज्यादातर हलकों से कांग्रेस की लहर होने की बात कही जा रही थी. लेकिन 8 अक्टूबर को जब मतपेटियां खुलीं तो रुझानों में तस्वीर अलग नजर आई. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 1 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी 90 में से 49 सीटों पर आगे दिख रही है. वहीं कांग्रेस 1 सीट जीत चुकी है जबकि 34 सीटों पर आगे है. वहीं आईएनएलडी और बीएसपी 1-1 सीट पर बढ़त बनाए हुए है. चार निर्दलीय भी आगे हैं.
अब सवाल उठता है कि जब कहा जा रहा था कि किसान, पहलवान, जाट आदि फैक्टर की वजह से हरियाणा में कांग्रेस की लहर चल रही है तो कैसे बीजेपी ने चुनाव को अपनी तरफ मोड़ा. लगभग सभी एग्जिट पोल भी कांग्रेस को बहुमत दिला रहे थे लेकिन 1 बजे तक के रुझानों में बीजेपी बहुमत हासिल करती दिख रही है. वो भी तब जब 2019 में बीजेपी इस चुनाव से अच्छी स्थिति में दिख रही थी, तब उसने 40 सीटें जीती थी और जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई थी.
दिलचस्प है कि देश का चुनाव हो या राज्यों का, बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ती है लेकिन हरियाणा में मौजूदा चुनाव में पीएम मोदी की सिर्फ 4 रैलियां हुईं. इसमें भी पीएम मोदी ने 1 अक्तूबर को अपनी आखिरी रैली पलवल जिले में की थी. चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन पीएम मोदी हरियाणा नहीं आए. यह स्थिति तब हुई कि जब बीजेपी को लेकर भारी एंटी इन्कंबेंसी का अनुमान लगाया जा रहा था. पीएम मोदी ने हरियाणा में साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 10 रैलियां की थीं जबकि 2019 में 8 रैलियां की थी.
नायब सिंह सैनी बने तुरुप का इक्का
नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी के पक्ष में जाता दिखा. ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया. हरियाणा में पिछले 10 साल से नॉन जाट पॉलिटिक्स करने वाली बीजेपी ने पंजाबी समुदाय के खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को बनाकर अपनी रणनीति पर कायम रहने का संदेश दिया.
दलितों के मुद्दों पर लड़ा चुनाव
जहां कांग्रेस ने किसान, पहलवान, जाट जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा, वहीं बीजेपी ने दलितों के मुद्दे को जोर-शोर से हटाया. बीजेपी ने कुमारी सैलजा को कांग्रेस में कथित रूप से दरकिनार किए जाने का मुद्दा उठाया. वहीं पीएम मोदी समेत अन्य बीजेपी नेताओं ने अपने प्रचार के दौरान गोहाना और मिर्चपुर कांड के मुद्दे उठाए. दरअसल 2005 में कांग्रेस की हुड्डा सरकार के समय गोहाना और 2010 में मिर्चपुर कांड हुआ था. साल 2005 में सोनीपत के गोहाना में अंतरजातीय हिंसा के एक मामले में दलितों के 50 घर जला दिए गए थे. वहीं 2010 में मिर्चपुर में दलितों के 10 से अधिक घर जला दिए गए थे. इसमें एक बच्ची और 70-वर्षीय व्यक्ति की जलकर मौत हो गई थी.
त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में सफल हुई बीजेपी
चुनावी जानकारों ने अनुमान लगाया था कि बीजेपी एंटी इन्कम्बेंसी से निपटने के लिए चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगी थी ताकि एंटी बीजेपी वोटों में बंटवारा हो सके और इसका सीधा कांग्रेस को न मिले. अभी तक के रुझानों को देखकर यही लग रहा है कि बीजेपी हरियाणा चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब रही. रुझानों में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आईएनएलडी, जननायक जनता पार्टी और निर्दलियों ने कुल 19.69 फीसदी वोट हासिल किया.
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