नई दिल्ली: Raj Babbar Gurugram: दिग्गज अभिनेता और यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्हें कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. राज बब्बर बीते 35 साल से राजनीति में हैं. उनकी सियासी एंट्री तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने करवाई थी. 


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वीपी सिंह का साथ दिया
साल 1987 में बोफोर्स मामले में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का नाम सामने आया. उन्होंने आहत होकर राजनीति छोड़ दी, लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया. इलाहबाद सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो गई. यहां से विश्वनाथ प्रताप सिंह ने नामांकन दाखिल किया. इलाहबाद में अमिताभ के करिश्मे को चुनौती देने के लिए उन्हें एक फिल्मी स्टार की जरूरत थी. तभी राज बब्बर उनके समर्थन में आए. राज छात्र जीवन से ही राजनीति में एक्टिव थे. वे मोटरसाइकिल पर बैठकर गांव-गलियों में प्रचार करने लगे. 


जब सुनील दत्त के लिए मांगे वोट
इससे पहले राज बब्बर सुनील दत्त के लिए चुनावी भागदौड़ कर चुके थे. साल 1984 में सुनील दत्त मुंबई (नॉर्थ) सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उनके खिलाफ नामी वकील राम जेठमलानी को टिकट दिया गया था. तब राज बब्बर और स्मिता पाटिल रिलेशनशिप में थे. सुनील दत्त के चुनावी मैनेजमेंट का जिम्मा स्मिता के पिता शिवाजी राव पाटिल पर था. इस दौरान राज बब्बर ने भी स्मिता के पिता के साथ दत्त के लिए वोट मांगे. तब से ही उनकी राजनीति में दिलचस्पी और गहरी हो गई.


राजीव सरकार को जमकर कोसा
वीपी सिंह ने कांग्रेस से बगावत कर जनमोर्चा बनाया था. राज बब्बर का इसका हिस्सा थे. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई की किताब ‘Neat-Abhineta: Bollywood Star Power in Indian Politics' में बताया गया है कि राज बब्बर जमकर राजीव सरकार की आलोचना करते थे. वे जनमोर्चा के करीब-करीब कार्यक्रमों में शामिल होते थे. मंच से कहते थे कि राजीव गांधी इस देश को 'नेहरू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी' बनाना चाहते हैं. 


सांसद बने राज बब्बर
एबीपी को दिए गए एक इंटरव्यू में राज बब्बर ने बताया साल 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद देश में अलग माहौल था. मैं मुंबई की हिंदू-मुस्लिम बस्तियों में जाकर अमन की अपील कर रहा था. तभी मेरी मुलाक़ात मुलायम सिंह यादव से हुई. तब मुलायम सिंह ने मुझसे कहा था कि तुम यूपी आओ. इस हिंसा की गंगोत्री यूपी में है. इसके बाद साल 1993 में मैं ऊटी में एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था. तभी मुख्यमंत्री मुलायम सिंह का फोन आया. उन्होंने कहा कि आप तुरंत लखनऊ आइए. वे लखनऊ पहुंचे और मुलायम सिंह ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बना दिया. 


सपा छोड़ कांग्रेस में आए
राज बब्बर बाद में लोकसभा के सांसद भी रहे. तीन बार सांसद रहने के बाद 2006 में राज बब्बर को सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. अमर सिंह और शिवपाल यादव से उनकी पटरी नहीं बैठ पाई. इसके बाद राज बब्बर कांग्रेस में शामिल हो गए. इस बार के लोकसभा चुनाव में वे फिर से चुनावी में किस्मत आजमा रहे हैं.


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