झारखंड चुनाव: महागठबंधन का दबाव सोरेन के सर पर
ज़ाहिर सी बात है बेजीपी को टक्कर देने के लिए बने प्रदेश के महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता तो वे स्वयं ही हैं..
रांची. बीजेपी को अपनी लक्षित सीटें प्राप्त होंगी इसकी संभावना तो नज़र आ रही है किन्तु बीजेपी को पराजित करने के लिए एक छाते के नीचे एकत्रित हुए विपक्षी अपनी संभावनाओं के प्रति आश्वस्त नज़र नहीं आ रहे. सबसे बड़ी चुनौती है हेमंत सोरेन के कंधों पर.
ये सोलह सीटें नहीं, हेमंत सोरेन की अग्निपरीक्षा हैं
प्रदेश विधानसभा के लिए हो रहे मतदान के पांचवे चरण में आज जो सोलह सीटें दांव पर लगी हैं उनके साथ ही हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. इन सोलह सीटों पर चुनाव लड़ रहे जेएमएम के नेताओं की जान उतनी सांसत में नहीं है जितनी स्वयं उनके प्रतिष्ठित नेता हेमंत सोरेन की जान सांसत में है.
जीते तो महागठबंधन की जीत हारे तो हेमंत सोरेन हारे
हालत ये है कि चुनाव पूर्व किये जाने वाले सारे दावे चुनाव के दौरान और आज की तारीख तक अल्फ़ाज़ों की जंग से ज्यादा साबित नहीं हुए हैं. आज बदले हालात में भी अगर महागठबंधन जीत जाता है तो विरोधियों की एकता को उसके लिए श्रेय जाएगा. किन्तु पराजय की स्थिति में सारा ठीकरा फूटेगा हेमंत सोरेन के सर पर.
हेमंत की अपनी सीट भी आशंकित है
प्रदेश के लोकप्रिय नेता हेमंत सोरेन का जीतना तो लगभग सौ प्रतिशत तय मान कर चला जा रहा था. किन्तु चुनावी हालात ने करवट बदले और आज पांचवें चरण के मतदान तक पहुँचते पहुँचते संभावना आशंका में बदल गई है. हेमंत जीत ही जाएंगे, कम से कम अब ये दावे से कहना तो सम्भव नहीं.
हेमंत ने हालत की नज़ाकत को भांप लिया था
ऐसा लगता है कि शायद हेमंत सोरेन ने अप्रत्याशित चुनावी हालात को पहले ही भांप लिया था. इसलिए उन्होंने खतरा नहीं उठाया और दो सीटों से परचा भर दिया था.