Kalahandi Lok Sabha Seat: कालाहांडी... कभी खाने के लिए नहीं थे दाने, आज धान का प्रमुख उत्पादक; सियासी लड़ाई भी रोचक
Kalahandi Lok Sabha Seat: कालाहांडी को एक जमाने में भुखमरी और कुपोषण के चलते जाना जाता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. यह इलाका धान के उत्पादन में कीर्तिमान रच रहा है.
नई दिल्ली: Kalahandi Lok Sabha Seat: कालाहांडी को एक जमाने में भूखमरी वाले इलाके के तौर पर जाना जाता था. लेकिन अब यहां हालत सुधरे हैं. यह इलाका धान का प्रमुख उत्पादक हो गया है. यहां पर इस बार के चुनाव में रोच मुकाबला होना है. लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं. इस सीट को स्विंग सीटों में गिना जाता है. दरअसल, बीते तीन चुनाव में यहां की जनता ने हर बार अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशियों को विजयी बनाया है.
स्विंग सीटों में एक
कालाहांडी में 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में भक्त चरण दास जीते. 2014 में BJD के अर्क केशरी देव जीते. 2019 में यहां पर भाजपा की बसंत कुमार पांडा जीते. लिहाजा, यह सीट किसी एक पार्टी का गढ़ न होकर, हर बार अलग-अलग दलों पर विश्वास जताती है.
उस बार ये प्रत्याशी
इस बार भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है. BJP ने मालविका केशरी देव को प्रत्याशी बनाया है, जो यहां से राज परिवार से ताल्लुक रखती हैं. कांग्रेस ने यहां से आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी माझी को प्रत्याशी बनाया है. BJD ने लंबोदर नियाल को टिकट दिया है.
क्रेडिट लेने की होड़ मची
चुनाव आते ही क्षेत्र में किए गए कार्यों का श्रेय लेने की होड़ मच गई है. हाल ही में BJD नेता सुजीत कुमार ने दावा किया कि कालाहांडी में काफी बदलाव हुआ है. यहां पर एक हवाई पट्टी, एक मेडिकल कॉलेज, एक विश्वविद्यालय है. कालाहांडी का पहले ‘भुखमरी वाले इलाके’ रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह राज्य में धान का प्रमुख उत्पादक है. राज्य में बारगढ़ के बाद कालाहांडी राज्य खाद्य सुरक्षा का दूसरा सबसे अधिक योगदानकर्ता है. सुजीत कुमार ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को दिया है. दूसरी ओर भाजपा के मौजूदा सांसद बसंत कुमार पांडा का कहना है कि उनके कार्यकाल में 3,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी हुईं. इलाके में दूरसंचार संपर्क में सुधार किया गया, इससे लोग खुश है.
एक प्रत्याशी शाही परिवार से, दूसरी सरपंच रहीं
शाही परिवार के सदस्य 9 बार यहां से सांसद रहे हैं. इस बार भी शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली मालविका को जीत का भरोसा है. उन्होंने कहा कि लोग मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं. यह कालाहांडी में मेरी जीत का का साफ संकेत है. दूसरी ओर, कांग्रेस प्रत्याशी द्रौपदी माझी पहले सरपंच रही हैं, फिर जिला परिषद सदस्य भी रहें. माझी ने दावा किया कि BJD और BJP दोनों ने विकास के नाम पर लोगों से धोखा किया है. कांग्रेस ने ही आदिवासी, दलितों और गरीबों के की लड़ाई लड़ी है. यहां पर चौथे चरण में यानी 13 मई को मतदान होना है.
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