नई दिल्ली: Congress Leaders: लोकसभा चुनाव को लेकर कई दलों ने गठबंधन कर लिया है. कुछ को गठबंधन में मुंह मांगी सीटें मिली हैं, तो कुछ के लिए यह गले की फांस बन गया है. खासकर कांग्रेस के साथ कई राज्यों में खेला हो गया है. कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हैं, जो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन वे जिस सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, पार्टी को वो सीट गठबंधन में मिली ही नहीं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar)
2019 में कन्हैया कुमार ने बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. तब वे लेफ्ट के प्रत्याशी थे. उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से हुआ था. तब RJD ने यह सीट खाली नहीं छोड़ी, कन्हैया के सामने प्रत्याशी उतारकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी थीं. नतीजतन, कन्हैया गिरिराज सिंह से चुनाव हार गए. इस बार यह सीट RJD ने पहले ही लेफ्ट को दे दी है. इस कारण कन्हैया यहां से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 


संजय निरुपम (Sanjay Nirupam)
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम उत्तरी मुंबई सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे. लेकिन शिवसेना-UBT (उद्धव गुट) ने सीट शेयरिंग पर सहमति बनने से पहले ही यहां अमोल कीर्तिकर को टिकट थमा दी. इसके बाद संजय निरुपम नाराज हुए. उन्होंने कीर्तिकर का प्रचार करने से भी इनकार कर दिया है. 


पूर्वी वर्मा (Purvi Verma)
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे रवि वर्मा लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से कई दफा सांसद रह चुके हैं. बीते चुनाव में उनकी बेटी पूर्वी ने यहां से सपा की टिकट पर ताल ठोकी, लेकिन हार गईं. फिर पिता-पुत्री ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. अब, जब सपा और कांग्रेस में गठबंधन हुआ तो लखीमपुर खीरी सीट अखिलेश यादव के खाते में चली गई. उन्होंने यहां से उत्कर्ष वर्मा प्रत्याशी बनाया है. अब पूर्वी वर्मा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. 


सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद अपनी परंपरागत सीट फार्रुखाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन यह सीट सपा के खाते में चली गई.  अखिलेश ने यहां से डॉ. नवल किशोर शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. इससे आहत हुए सलमान खुर्शीद ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की. लेकिन अब वे यहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 


नसीमुद्दीन सिद्दीकी (Nasimuddin Siddiqui)
बसपा में रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस का दामन थामा था. वे बिजनौर या मुरादाबाद में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक थे. लेकिन ये सीटें गठबंधन में सपा के पास चली गईं. सपा ने बिजनौर से नूरपुर के विधायक रामअवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को टिकट दिया है. जबकि मुरादाबाद से एसटी हसन को फिर से मौका दिया है. 


ये भी पढ़ें-  गोविंदा ने 'जाइंट किलर' को हराया था चुनाव, फिर सियासत से क्यों कर ली तौबा?


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.