नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के सभी एग्जिट पोल बता रहे हैं कि कांग्रेस अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेगी. इस जीत से कांग्रेस को कई अच्छे सियासी संदेश मिल रहे हैं और 2024 की नूरा कुश्ती के लिए पार्टी को एक पॉवर बूस्टर मिलेगा.आइये जानते हैं कि अगर कर्नाटक चुनाव परिणाम वाले दिन 13 मई को एग्जिट पोल जैसे ही आंकड़े कांग्रेस के पक्ष में आते हैं तो ये पार्टी को कैसे फायदा पहुंचाएंगे.


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1. दक्षिण का द्वार खुल जाएगा
कर्नाटक की जीत के साथ ही कांग्रेस को तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में मजबूत होने का एक और मौका मिलेगा.खासकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जहां करीब एक साल के भीतर चुनाव होने हैं.


2. बढ़ेंगे पंजे की पकड़ वाले राज्य
इस जीत के साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल और कर्नाटक, यानी चार बड़े राज्यों में कांग्रेस की सरकार होगी.वहीं बिहार और झारखंड में कांग्रेस सत्ता में भागीदार है.


3. पहला बड़ा राज्य
कर्नाटक में 224 विधानसभा सीट है. कांग्रेस के हाथ में अब ऐसा राज्य होगा जहां 200 से ज्यादा विधानसभा सीटें हैं. राजस्थान में 200 विधानसभा सीट है.बड़े राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से कार्यकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक बल मिलेगा. कर्नाटक में कांग्रेस का भविष्य भी बेहतर है क्योंकि वहां डीके शिवकुमार जैसे नेता हैं. जो 60 साल के यानी अभी वह लंबी राजनीतिक पारी खेल सकते हैं. 


4. 2024 के लिए मिलेगी ऊर्जा
2014 से लगातार मिल रही चुनावों में हार, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाना, लगातार लोकसभा में मत प्रतिशत कम होना, जैसी चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह जीत 2024 से पहले संजीवनी लेकर आई है.


5. कांग्रेस के लिए सबक, गुटबाजी से पार पाना होगा
कर्नाटक में अगर कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह गुटबाजी के खात्मे की भी जीत होगी. क्योंकि इस चुनाव में जीत का श्रेय डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया की जोड़ी को जाएगा. याद रखें कि हिमाचल में भी प्रतिभा सिंह और सुखविंदर सुक्खू जैसे दिग्गज नेता साथ आए थे तो ही कांग्रेस को जीत मिली थी. राजस्थान और मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ऐसे ही जीत मिली थी.


पर चुनाव में जीत के बाद होने वाली गुटबाजी से कांग्रेस कई राज्यों में जूझ रही है.जैसे छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है. राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने सामने हैं तो वहीं वहीं छत्तीसगढ़ में भी पिछले 4 साल से सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच तनातनी जारी है जो अब खुल कर दिख रही है. यानी कांग्रेस को राष्ट्रीय से लेकर राज्यों के संगठन में गुटबाजी को खत्म करना होगा.

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