नई दिल्ली: First Exit Poll in India: देश में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, तेलंगाना में कल (30 नवंबर) को वोटिंग होनी है. फिर शाम 6:30 बजे के बाद एग्जिट पोल्स आना शुरू हो जाएंगे. मतदान होने के बाद वोटिंग पैटर्न को भांपा जाता है, फिर एग्जिट पोल जारी होते हैं. आमजन से लेकर पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं को भी एग्जिट पोल्स का इंतजार रहता है. चलिए जानते हैं कि एग्जिट पोल्स की शुरुआत कब और कैसे हुई


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कहां से आया एग्जिट पोल?
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) ने साल 1960 में एग्जिट पोल्स का खाका पेश किया था. वोटिंग के बाद जनता का रुझान देखते हुए नतीजों से पहले जो आकलन तैयार किया जाता है, उसे 'एग्जिट पोल' नाम दिया गया. 


कब आया पहला एग्जिट पोल?
भारत में पहला एग्जिट पोल साल 1996 में जारी हुआ था. इस साल लोकसभा चुनाव हुए थे. इस एग्जिट पोल को सीएसडीएस ने ही जारी किया था. इसमें बताया गया कि देश में खंडित जनादेश आ सकता है. उस दौरान लोगों के लिए यह एग्जिट पोल का विज्ञान काफी नया था, इसलिए इस पर गिने-चुने लोगों को ही भरोसा था.


सही निकला या गलत
जब आम चुनाव के नतीजे आए तो सब हैरान रह गए. सीएसडीएस द्वारा जारी किया गया एग्जिट पोल करीब-करीब सही निकला. 1996 के लोकसभा चुनाव में में भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी, लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण 13 दिन ही सरकार चल पाई.


बढ़ चला एग्जिट पोल का ट्रेंड
इसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव आए. तब हर बड़े मीडिया हाउस ने एग्जिट पॉल किया , क्योंकि यह इसका ट्रेंड आ चुका था. पोल के मुताबिक एनडीए को 214-249 के बीच सीटें और  यूपीए को 145-164 सीटें मिलने का अनुमान था. असल आंकड़े भी करीब-करीब ऐसे ही थे.  एनडीए को 252 और यूपीए को 166 सीटें मिलीं.


जब गलत साबित हुए एग्जिट पोल
2004 का लोकसभा चुनाव भाजपा की करारी हार लेकर आया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 'शाइनिंग इंडिया' का नारा फ्लॉप साबित हुआ. साथ ही फ्लॉप साबित हुए देश के एग्जिट पोल. एग्जिट पोल्स में भाजपा को दोबारा जनादेश मिलने का अनुमान था, लेकिन एनडीए 200 सीट भी नहीं लजे सका. जबकि यूपीए को 222 सीटें मिली. कांग्रेस ने सरकार बनाई और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. पहली दफा एग्जिट पोल फेल साबित हुए. इसके बाद तो मानो छोटे से लेकर बड़े चुनाव के एग्जिट पोल आने लगे, कभी सही साबित हुए तो कभी गलत. एग्जिट पोल्स का यह सफरनामा बदस्तूर जारी है.


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