नई दिल्ली: Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: हरियाणा कांग्रेस में चुनाव से ठीक पहले अंदरूनी सियासत गरमाई हुई है. पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा से सिरसा सांसद और कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा नाराज चल रही हैं. उनकी नाराजगी के दो कारण हैं. पहली वजह सैलजा पर की गई जातिगत टिप्पणी है. दूसरी वजह हुड्डा की वो सियासी चाल है, जिसकी वजह से सैलजा राजनीतिक रूप से कमजोर हो सकती हैं. भूपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा में 'गहलोत मॉडल' अप्लाई किया है, जिससे वे खुद को CM बनने की रेस में सबसे आगे करना चाहते हैं. लेकिन ये चाल तब उल्टी पड़ सकती है, जब सैलजा बागी तेवर दिखाने लगें.

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सियासत में 'गहलोत मॉडल' क्या है?
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत को सियासत का जादूगर कहा जाता है. सियासी पाठशाला में कई ऐसे फॉर्मूले हैं, जिनका ईजाद गहलोत ने किया है. गहलोत का मॉडल यही है कि जब उनके समर्थकों को टिकट नहीं मिलता तो वे उन्हें निर्दलीय चुनावी मैदान में उतार देते हैं. उदाहरण के तौर पर 2018 का राजस्थान विधानसभा लेते हैं. 2018 में राजस्थान कांग्रेस ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. टिकट बंटवारे में पायलट की अच्छी-खासी दखल रही. गहलोत के कई करीबियों को टिकट नहीं मिला. फिर वे निर्दलीय खड़े हो गए. कुछ सीटों पर इन्होंने जीत दर्ज की, कुछ पर इन्होंने पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव हराया. सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. निर्दलीयों ने गहलोत को समर्थन दिया और पार्टी हाईकमान को उन्हें मजबूरन CM बनाना पडा.

हुड्डा के समर्थक निर्दलीय भी लड़ रहे
हरियाणा में कांग्रेस क करीब 36 बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कुछ सीटों पर हुड्डा के समर्थक भी चुनावी ताल ठोक चुके हैं. बल्लभगढ़ से कांग्रेस ने पराग शर्मा को टिकट दिया. हुड्डा की करीबी शारदा राठौर यहां से निर्दलीय हैं. तिगांव से कांग्रेस ने रोहित नागर को टिकट दिया. यहां से हुड्डा के करीबी ललित नागर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

हुड्डा को गहलोत मॉडल से क्या फायदा?
पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा का सबसे बड़ा फायदा ये है कि पार्टी में ही उनके विरोधी कमजोर हो जाएंगे. कुमारी सैलजा के समर्थकों के सामने निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से उनकी हार हो सकती है, जिसका सीधा नुकसान सैलजा को होगा. दूसरा फायदा ये है कि हंग असेंबली होने पर हुड्डा मजबूत होंगे. यदि कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है और हुड्डा के समर्थित निर्दलीय चुनाव जीतते हैं, तो पार्टी आलाकमान को मजबूरन हुड्डा के कहे अनुसार चलना होगा. कांग्रेस बहुमत हासिल कर लेटी है तो वे CM भी बन सकते हैं.


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