नई दिल्लीः Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों को नजदीक आता देख देश में राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं. सभी पार्टियां हर सीट से अपने दिग्गज उम्मीदवारों को उतारने की पहल में लग गई हैं. हालांकि, कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां से अभी तक पक्ष और विपक्ष किसी भी पार्टी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. इन्हीं सीटों में से एक है यूपी के रायबरेली की सीट. 


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रायबरेली से प्रियंका गांधी लड़ सकती हैं चुनाव
कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली की मौजूदा सांसद सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि प्रियंका गांधी इस सीट से चुनावी अखाड़े में उतर सकती हैं. क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है और इस बार प्रियंका गांधी पहली दफा लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में प्रियंका को लेकर कांग्रेस कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती है और उन्हें सबसे सुरक्षित सीट से उतारना चाहती है. 


रायबरेली में प्रियंका के खिलाफ हो सकती हैं अपर्णा
वहीं, दूसरी ओर अटकलें लगाई जा रही हैं कि रायबरेली में प्रियंका गांधी के खिलाफ बीजेपी मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उतार सकती है. इस पर अपर्णा यादव ने हामी भी भर दिया है कि अगर उन्हें रायबरेली से उतारा गया तो वे प्रियंका को कड़ी से कड़ी टक्कर देंगी और चुनाव जीत कर दिखाएंगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या वाकई में अपर्णा यादव रायबरेली में प्रियंका गांधी को टक्कर दे पाएंगी और उन्हें इस सीट से उतारना बीजेपी के किस रणनीत का हिस्सा है.


1999 से रायबरेली में है कांग्रेस का दबदबा
बता दें कि रायबरेली की सीट पर साल 1999 से कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट से कांग्रेस 16 बार चुनाव जीत चुकी है. मोदी लहर में भी कांग्रेस इस सीट से चुनाव नहीं हारी है लेकिन इस दौरान सबसे खास बात यह रही है कि साल 2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट से सपा ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. ऐसे में बीजेपी मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव के सहारे यहां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के फिराक में हैं. 


मुलायम परिवार की बहू होने का मिलेगा फायदा
अपर्णा के इस सीट से चुनाव लड़ने से जनता के बीच कई संकेत जाएंगे. सबसे बड़ा संकेत तो मुलायम परिवार की बहू होने का होगा. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि इससे मुलायम के समर्थकों का कुछ वोट अपर्णा के खाते में आएगा. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी समर्थकों का समर्थन मिलने से अपर्णा इस सीट को निकाल सकती हैं. इसके अलावा अपर्णा एक युवा चेहरा है. साथ ही वे राजनीति में काफी सक्रिय भी रहती हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि बीजेपी को अपर्णा की इन खूबियों का फायदा मिल सकता है. 


रायबरेली का जातीय समीकरण
एक नजर रायबरेली के जातीय समीकरण पर डालें, तो यहां 11 फीसदी ब्राह्मणों की आबादी है. क्षत्रियों की आबादी 9 फीसदी, यादवों की आबादी 7 फीसदी, एससी की आबादी 34 फीसदी और मुस्लिम आबादी 6 फीसदी है. इसके अलावा लोध, कुर्मी की भी अच्छी आबादी है. मुलायम की बहू होने की वजह से अपर्णा को यादवों का समर्थन मिल सकता है. यही वह वजह है जिससे चर्चा चल रही है कि बीजेपी अपर्णा को रायबरेली से उतार सकती है. 


प्रियंका को टक्कर देना नहीं होगा आसान
हालांकि, अपर्णा के लिए रायबरेली से कांग्रेस को बेदखल करना इतना आसान नहीं होगा. इसके भी कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण तो यह है कि प्रियंका अपर्णा की अपेक्षा एक बड़ा राजनीतिक चेहरा हैं. उत्तर प्रदेश में प्रियंका का प्रयोग भले ही असफल रहा हो, लेकिन हिमाचल प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस को लाने में प्रियंका का अहम योगदान बताया जाता है. इसके अलावा यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन है और जनता अखिलेश यादव को ही मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में देख रही है. ऐसे में मुलायम के समर्थकों का इधर-उधर भटकना मुश्किल हो सकता है.


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