नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने नारा दिया था, 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' कांग्रेस इस नारे को यूपी चुनाव में जमकर तूल दे रही है. हालांकि कांग्रेस का ये नारा पंजाब में लागू होता नहीं दिख रहा है. विश्व स्तरीय खिलाड़ी मलिका हांडा अपने हक के लिए दर-दर भटक रही है और पंजाब की कांग्रेस सरकार मूक दर्शक बनी हुई है.


क्या है पूरा माजरा?


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दरअसल, मलिका हांडा ने बीते 2 जनवरी को एक ट्वीट करके बताया कि मैं बहुत आहत महसूस कर रही हूं. 31 दिसंबर मैं पंजाब के खेल मंत्री से मिली. अब उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार नौकरी नहीं दे सकती और न नकद पुरस्कार (बधिर खेलों) को स्वीकार करते हैं, क्योंकि उनके पास बधिर खेलों के लिए नीति नहीं है.



प्रियंका वाड्रा को इस खिलाड़ी की बेचारगी देखनी चाहिए. प्रियंका वाड्रा इन आंसुओं को देखिए क्योंकि जिस खिलाड़ी ने खेल में मैदान में जीत का परचम लहरा दी, वो चन्नी सरकार के सिस्टम के आगे टूट गई. आपसे हम ये सवाल नहीं पूछते. प्रियंका ने ही तो यूपी में नारा दिया 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं', तो फिर एक लड़की जो अपने हक के लिए लड़ रही है ऐसे में प्रियंका चुप क्यों हैं?


यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ने भी जताई नाराजगी


पंजाब यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बरिंदर सिंह ढिल्लों ट्वीट करके खुद को शर्मसार महसूस करते हैं. चन्नी पर सवाल खड़े करते हैं. मानवता की दुहाई देते हैं. उन्होंने लिखा कि हमारा वोट बैंक के लिए सबकुछ नहीं होता है. 'अगर यह सच है, तो हम सभी को अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए. हम सभी सहित चरणजीत चन्नी उसे विफल कर दिया है. वह बिना किसी समर्थन के इसे लड़ रही है और हम तथाकथित सरकार सभी समर्थन के साथ कुछ नहीं कर सके. यह हमेशा वोटबैंक के बारे में नहीं है, कभी-कभी यह मानवता के बारे में है.'



कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा मदद नहीं बख्शीश की वकालत कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा कि 'मैं एक ही भरोसा दिलाना चाहती हूं ये बेटी का हक और अधिकार है, ये इसे मिलेगा ऐसा हमारी कांग्रेस की सरकार सुनिश्चित करेगी.' वहीं विपक्ष कांग्रेस को इस मामले में घेर रहा है.


पंजाब बीजेपी के महासचिव जीवन गुप्ता ने इस मामले में कहा है कि 'कांग्रेस सरकार ने जो वादा किया था, उससे वो मुकर रहे हैं. ये सरकार ही केवल मुकरने वाली सरकार है. चुनाव को देखते हुए ये सिर्फ वादें कर रहे हैं.'


31 दिसंबर को खेल मंत्री से हुई थी मुलाकात


आपको पूरा मामला समझना चाहिए. भारत की दिव्यांग शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा ने ट्वीट करके खेल मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि पंजाब के खेल मंत्री परगट सिंह ने उन्हें बताया कि राज्य सरकार उन्हें नौकरी और नकद इनाम नहीं दे सकती, जबकि पहले पंजाब सरकार नौकरी और कैश अवॉर्ड देने का वादा किया था, लेकिन अब वो मुकर रही है.



विश्व बधिर शतरंज चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीतने वाली हांडा ने 31 दिसंबर को खेल मंत्री से मुलाकात की थी. इसके बाद दिव्यांग मलिका हांडा ने ट्वीट करके एक वीडियो डालकर पूरी जानकारी दी.



मलिका हांडा की मां रेणु हांडा ने भी इस मामले में सवाल खड़े किए है. उन्होंने कहा है कि 'ये बच्चे अपने अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे हैं, कभी किसी मंत्री के पास तो कभी किसी मंत्री के पास.. क्या आप लोगों के पास इतना भी टाइम नहीं है कि आप इतना चेक कर लो कि इन बच्चों के लिए पॉलिसी नहीं है. क्या पॉलिसी बनाना इन बच्चों का काम है?'


महिलाओं पर 'सेलेक्टिव' राजनीति!


ऐसी सियासत पर सवाल उठने लाज़मी हैं. सवाल ये कि मलिका हांडा मामले पर प्रियंका वाड्रा चुप क्यों हैं? यूपी में 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा देने वाली पार्टी की जब पंजाब में सरकार है तो मामले से किनारा क्यों किया जा रहा है.  अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग खिलाड़ी से भेदभाव क्यों किया जा रहा है.


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चुनाव में लगातार मुफ्त देने का वादा किया जा रहा है. खुद पंजाब कांग्रेस के सुप्रीमो नवजोत सिंह सिद्धू ने चुनाव जीतने पर 2000 रुपए प्रति महिला कैश देने का वादा किया है. लेकिन वहीं सिद्धू और कांग्रेस इस मामले में चुप हैं. देखना होगा कि क्या इस मामले में पंजाब सरकार की आंखें खुलती हैं या वो चुप्पी ही साधे रहती है.


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