हेमंत सोरेन की वापसी के क्या मायने, चुनाव से पहले फिर क्यों बन रहे CM?

Hemant Soren Returns: हेमंत सोरेन की एक बार फिर CM के तौर पर ताजपोशी होने जा रही है. 5 महीने बाद वे एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. साल के आखिर में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jul 3, 2024, 06:30 PM IST
  • हेमंत चुने गए विधायक दल के नेता
  • जल्द लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ
हेमंत सोरेन की वापसी के क्या मायने, चुनाव से पहले फिर क्यों बन रहे CM?

नई दिल्ली: Hemant Soren Returns: हेमंत सोरेन एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. 3 जुलाई को हुई विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया है. जल्द ही मुख्यमंत्री चंपई सोरेन इस्तीफा दे सकते हैं, इसके बाद हेमंत की ताजपोशी होगी. 31 जनवरी को हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया था. लेकिन 28 जून को उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से जमानत मिली थी. 

करीबी को बनाया था CM
'हेमंत सोरेन ने जो काम शुरू किया है, उसे हम आगे बढ़ाएंगे. हेमंत हमारी पार्टी के नेता हैं. उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. वह न्याय के लिए अपनी लड़ाई में सफल होंगे.' ये बयान चंपई सोरेन का है, जब 2 फरवरी को उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज संभाला था. इस बयान से स्पष्ट हो गया था कि चंपई हेमंत के वफादार रहेंगे. जैसा जीतनराम मांझी और नीतीश का किस्सा हुआ, वैसा हेमंत और चंपई के बीच नहीं होगा.

झारखंड में क्यों बदला जा रहा CM?

झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. इससे पहले ये सवाल उठता है कि चुनाव से ठीक पहले JMM मुख्यमंत्री क्यों बदल रही है?

1. लोकप्रिय चेहरा: चंपई सोरेन भले CM हों, लेकिन आज भी हेमंत सोरेन राज्य में एक लोकप्रिय चेहरा हैं. सोशल मीडिया पर भी दोनों की फॉलोइंग में काफी अंतर है. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर चंपई सोरेन के 1 लाख 60 हजार के करीब फोलोअर्स हैं. जबकि हेमंत के फोलोअर्स की संख्या 11 लाख के करीब है. फेसबुक ओर पर चंपई के फोलोअर्स की संख्या 31 हजार है, जबकि हेमंत सोरेन के 8 लाख 14 हजार फोलोअर्स हैं. पार्टी एक लोकप्रिय चेहरे के साथ चुनाव में उतरना चाहेगी

2. पार्टी और परिवार में एकजुटता: हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन इस बात से नाराज थीं कि उन्हें CM न बनाकर चंपई को इस पद के लिए चुना गया. इसके बाद सीता ने JMM छोड़ दी और वे भाजपा में शामिल हो गईं. उनके भाई बसंत सोरेन भी नाराज माने जा रहते थे. लेकिन हेमंत की वापसी से परिवार और पार्टी की एकजुटता बनी रहेगी.

3. सहानुभूति: हेमंत सोरेन की गिफ्तारी से झारखंड के आदिवासी समुदाय के एक बड़े तबके में उनके प्रति सहानुभूति उठी. इसका फायदा पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में लेना चाहेगी, इसके लिए हेमंत की वापसी कराना जरूरी था.

4. भाजपा को कड़ा संदेश: अरविंद केजरीवाल ने जेल जाने के बावजूद CM पद नहीं छोड़ा, लेकिन हेमंत ऐसा नहीं कर पाए थे. लेकिन अब हेमंत एक बार फिर CM पद की शपथ लेकर भाजपा को संदेश देना चाहते हैं कि राज्य की बागडोर उन्हीं के हाथ में रहेगी. माना जा रहा है कि यदि हेमंत को एक बार फिर जेल जाना पड़ता है, तो भी वे CM पद से इस्तीफा नहीं देंगे.

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