चंद्रशेखर के सामने सपा ने कभी नहीं उतारा प्रत्याशी, मुलायम ने ऐसे निभाया शिष्य धर्म
Mulayam Singh Yadav and Chandra Shekhar: मुलायम सिंह यादव ने 1996, 1998, 1999 और 2004 में पूर्व PM चंद्रशेखर के सामने कभी भी सपा का प्रत्याशी नहीं उतारा. जबकि चंद्रशेखर मुलायम के विरोधी दल से चुनाव लड़ते थे.
नई दिल्ली: Mulayam Singh Yadav and Chandra Shekhar: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. पार्टियों ने अधिकतर सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं. कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां रिश्तेदार ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी समर में उतर चुके हैं. इसी बीच पूर्व PM चंद्रशेखर और पूर्व CM मुलायम सिंह यादव के रिश्ते को याद करना लाजमी है. मुलायम की पार्टी सपा ने चंद्रशेखर के सामने बलिया लोकसभा सीट से कभी कोई प्रत्याशी नहीं उतारा.
8 बार बलिया से सांसद रहे चंद्रशेखर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर बलिया लोकसभा क्षेत्र से 8 बार सांसद रहे. साल 1992 में बनी सपा चंद्रशेखर का विरोधी दल था. लेकिन फिर भी सपा ने उनके खिलाफ अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा. सपा के बनने के बाद पहला लोकसभा चुनाव 1996 में हुआ. पूर्व PM चंद्रशेखर के सामने धरतीपुत्र मुलायम सिंह ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. सब चौंक गए, तब सूबे में बात उठी कि चेला हो तो मुलायम जैसा.
PM को छोड़कर चंद्रशेखर के साथ गए मुलायम
दरअसल, मुलायम सिंह यादव चंद्रशेखर को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. मुलायम पहली बार चंद्रशेखर के कारण ही यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. 1990-91 में वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बन गए थे. चंद्रशेखर इस बात से नाखुश थे. उन्होंने अपना अलग दल बनाया, जिसका नाम समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) रखा. जैसे ही चंद्रशेखर ने नई पार्टी बनाई, मुलायम ने वीपी सिंह का साथ छोड़कर चंद्रशेखर की सदारत मंजूर की.
चंद्रशेखर और मुलायम कैसे लग हुए?
साल 1991 में मुलायम चंद्रशेखर से अलग हो गए थे. तब तक चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन चुके थे. उस दिन की कहानी कुछ यूं है कि बलिया के पुलिस लाइन मैदान में एक जनसभा हो रही थी. पीएम चंद्रशेखर और सीएम मुलायम सिंह यादव मंच पर बैठे थे. मुलायम 150 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं की घोषणा करना चाह रहे थे. मंडल आयोग की सिफारिशें संसद में पारित हो गई थीं, इसलिए सभा में मुलायम के विरोध में नारेबाजी होने लगी. चंद्रशेखर ने हालात संभालने चाहे. लेकिन वे युवाओं का गुस्सा काबू नहीं कर पाए. इस पर मुलायम भी बिफर पड़े और कहा-ऐसे काले झंडे मैंने अपनी जिंदगी में बहुत देखे और दिखाए हैं. तुम नारे लगाते रहो, मैं जा रहा हूं. ये कहकर मुलायम मंच से उतरे और चले गए.
कभी नहीं उतारा प्रत्याशी
इसके बाद साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने अपना खुद का दल बनाया, जिसका नाम समाजवादी पार्टी रखा. सपा बनने के बाद 1996 में लोकसभा का पहला चुनाव हुआ. यूपी की नई-नवेली पार्टी सपा पर सबकी नजरें थीं. लोग देखना चाहते थे कि मुलायम अपने गुरु चंद्रशेखर के खिलाफ बलिया लोकसभा सीट से किसे टिकट देते हैं. सपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए, लेकिन बलिया से किसी के नाम का ऐलान नहीं हुआ. फिर ऐसा ही 1998, 1999 और 2004 में भी हुआ. इस तरह चंद्रशेखर की कभी सपा से टक्कर नहीं हुए और वे लोकसभा पहुंचते रहे.
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