कोलकाता: 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पूरा देश टकटकी लगाए देख रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनके पुराने साथी और बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी दो-दो हाथ कर रहे हैं. ममता दीदी के लिए शुवेंदु अधिकारी ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है.


तो क्या नंदीग्राम हार जाएंगी ममता?


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जैसे ही बंगाल में वोटों की गिनती शुरू हुई, हर किसी को नंदीग्राम सीट का रुझान जानने की बेचैनी हो रही थी. हर कोई जानना चाहता था कि ममता बनर्जी को यहां बढ़त मिलती है या मात? फिलहाल नंदीग्राम में मतगणना जारी है. 6 राउंड की गिनती हो चुकी है और ममता बनर्जी से पीछे चल रही हैं.


भाजपा के शुवेंदु अधिकारी इस सीट पर 3700 से अधिक वोटों से आगे चल रहे हैं. ये ममता दीदी के लिए काफी बुरा संकेत साबित हो सकता है. हालांकि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी इस चुनाव को एकतरफा जीतती दिख रही है, लेकिन इसके बावजूद ममता बनर्जी को ये समझ नहीं आ रहा होगा कि वो अपनी हार का गम मनाए या सत्ता में वापसी की खुशी..


नंदीग्राम सीट का समीकरण समझिए


नंदीग्राम का समीकरण समझाने के लिए आपको इस सीट पर हुई पिछले तीन चुनावी जंग के बारे में बताते हैं. 2007 से पहले तृणमूल का वर्चस्व बंगाल में उतना दमदार नहीं था, जितना नंदीग्राम आंदोलन के बाद हुआ. 2006 के चुनाव की बार करें तो इस सीट से एसके. इलियास मोहम्मद (Illias Mahammad Sk.) ने ममता की पार्टी TMC के एसके सुपियां (Sk. Supian) को साढ़े 5 हजार से अधिक वोटों से हराया था.


जिसके बाद 2011 के चुनाव में ममता की पार्टी ने नंदीग्राम से जीत हासिल की. नंदीग्राम में जीत के साथ ही दीदी को पहली बार सीएम की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इस बार TMC की फिरोजा बीबी ने CPI के परमानंद भारती को 40 हजार से अधिक वोटों से मात दी थी.


2016 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से TMC के बैनर तले शुवेंदु अधिकारी मैदान में उतरे और उन्होंने CPI के अब्दुल कबीर शेख को 81 हजार 230 वोटों से हराया.


ममता ने क्यों चुना नंदीग्राम?


2011 और 2016 में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल (West Bengal) की भवानीपुर सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं. लेकिन इस बार उन्होंने नंदीग्राम के लिए भवानीपुर की सुरक्षित सीट छोड़ दी. टीएमसी और बीजेपी के लिए नंदीग्राम की सीट आखिर नाक की लड़ाई क्यों बन चुकी थी?


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ममता ने खुद अपने पुराने साथी शुवेंदु को चैलेंज किया और नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की मानें तो वो 2024 में दिल्ली कूच भी कर सकती हैं, लेकिन ममता दीदी खुद ही नंदीग्राम से चुनाव हार जाती हैं तो वो उनके लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं होगा.


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