नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ के जरिए सूडान से सुरक्षित निकाले गए हक्की पिक्की जनजाति के सदस्यों से यहां मुलाकात की. इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि विस्थापितों ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें "बिना किसी खरोंच के" सुरक्षित निकालना सुनिश्चित किया.


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महाराणा प्रताप के साथ खड़े रहे उनके पूर्वज
प्रधानमंत्री ने जनजाति के लोगों को याद दिलाया कि कैसे उनके पूर्वज 16वीं शताब्दी के शासक महाराणा प्रताप के साथ खड़े रहे. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर पूरी दुनिया में कहीं भी कोई भी भारतीय किसी भी तरह की कठिनाई में होगा, तो सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी, जब तक कि समस्या का समाधान नहीं हो जाता.


मोदी के हवाले से कहा गया, 'कुछ राजनीतिक नेताओं ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की, और हमारी चिंता यह थी कि यदि वे यह उजागर करते हैं कि भारतीय कहां छिपे हैं, तो उन्हें अधिक खतरे का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए सरकार ने सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चुपचाप काम किया.'


कौन है हक्की पिक्की जनजाति?
हक्की पिक्की जनजाति पश्चिम एवं दक्षिण भारत के वन क्षेत्रों में रहती है. ये एक अर्द्ध-घुमंतू जनजाति है. इस जनजाति के लोग परंपरागत रूप से पक्षियों को पकड़ती और उनका शिकार करते हैं. ऐतिहासिक दृष्टि से इनका पैतृक संबंध राणा प्रताप सिंह के साथ माना जाता है. कर्नाटक में यह एक अनुसूचित जनजाति है.


ऐसा माना जाता है कि हक्की पिक्की जनजाति की उत्पत्ति राजस्थान और गुजरात में हुआ, जो आंध्र प्रदेश के रास्ते दक्षिण भारत पहुंच गए. कर्नाटक में इस जनजाति की आबादी 11 हजार 892 है, जिन्हें चार कुलों में बांटा गया है. इनके ये चार वंश हैं...


1). गुजराथीओ (Gujrathioa)
2). कालीवाला (Kaliwala)
3). मेवाड़ा (Mewara) 
4). पनवारा (Panwara)


हक्की पिक्की जनजाति की परंपराएं
हक्की पिक्की जनजाति में अंतरावंशीय विवाह को प्राथमिकता दी जाती है. इस जनजाति में शादी की आयु महिला और पुरुषों की अलग-अलग है. जानकारी के अनुसार महिलाओं के शादी की उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के विवाह की आयु 22 वर्ष है. हक्की पिक्की जनजाति के लोग हिंदू परंपराओं को मानते हैं और सभी त्योहार मनाते हैं. फिलहाल इनके शिक्षा का स्तर कम है.



प्रधानमंत्री ने हक्की पिक्की जनजाति के लोगों से कहा कि वे देश की उस ताकत को याद रखें, जो उनके लिए खड़ी थी. उन्होंने उनसे मुसीबत में पड़े लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने और समाज तथा देश के लिए योगदान देने को कहा. अधिकारियों ने कहा कि विस्थापितों ने प्रधानमंत्री को बताया कि कैसे विदेशों में लोगों का भारतीय दवाओं पर विश्वास है तथा वे यह सुनकर खुश हो जाते हैं कि वे भारत से हैं.
(इनपुट- भाषा)


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