नई दिल्ली: Rajasthan New CM Face: राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. पार्टी हाईकमान ने राजस्थान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली दरबार में मत्था टेक रही हैं. वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलीं. सबकी दिलचस्पी इसी में है कि आखिरकार वसुंधरा ने मीटिंग में कहा क्या है. 


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पूरे होमवर्क के साथ गईं राजे
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने मीटिंग से पहले पूरा होमवर्क किया था. यह होमवर्क ठीक वैसा ही था जब 25 सितंबर की घटना के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने से पहले तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने किया था. इसके बाद गहलोत को सोनिया से माफ़ी भी मिल गई थी, वे चेहरे पर मुस्कान लेकर लौटते दिखाई दिए. ठीक इसी तरह वसुंधरा भी मीटिंग के बाद मुस्कुराती दिखीं. लौटते हुए वसुंधरा के हाथों में कागजों का ढेर देखा गया, जिसके बाद कयास हैं कि वे शाह और नड्डा को सबकुछ समझाकर लौटी हैं. 


शाह से हुई मीटिंग में क्या हुआ?
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अमित शाह के सामने एक-एक लोकसभा सीट का ब्यौरा रखा. उन्होंने बताया कि कौनसी सीट पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा-बुरा रहा और इसके क्या कारण रहे. इसके बाद राजे ने यह भी बताया कि कौनसा उम्मीदवार किन कारणों से हारा और जीता है. दरअसल, इससे वसुंधरा ये दिखाना चाह रही थीं कि वे राजस्थान की राजनीति की नस-नस जानती हैं. 


किसने-किसकी पैरवी की?
वसुंधरा राजे ने अमित शाह को यह भी बताया कि किस नेता ने किस उम्मीदवार की पैरवी की. इस लिहाज से वसुंधरा ने अपने विरोधी नेताओं को सीएम रेस से बाहर करने की कोशिश की, क्योंकि वसुंधरा का स्ट्राइक रेट अच्छा रहा था. उनके 80 फीसदी समर्थक चुनाव जीत गए हैं. इनमें निर्दलीय भी शामिल हैं. वसुंधरा ने 60 से अधिक चुनावी रैलियां की, इनका स्ट्राइक रेट भी पीएम मोदी और शाह से अच्छा रहा. 


ये सब बताने के मायने क्या हैं?
सवाल ये उठता है कि वसुंधरा ने ये सब आंकड़े गृहमंत्री शाह के सामने रखे क्यों थे. इसका जवाब ये है कि वसुंधरा पार्टी को 2024 का विजन दिखाना चाह रही हैं. यदि पार्टी 2024 को देखते हुए CM बनाती है, तो वसुंधरा इस सांचे में सबसे फिट हैं. दरअसल, उन्हें पता है कि किस संभाग की राजनीति और नेता कैसे हैं. दो बार की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा को ब्यूरोक्रेट्स की भी जानकारी है, वे जानती हैं कि कौनसा अधिकारी कैसे काम करता है. जबकि एक नए चेहरे को स्थापित होने में काफी समय लग जाएगा. अब देखना ये होगा कि आलकमान वसुंधरा के इस मत से सहमत हो पाता है या नहीं. 


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