सोशल मीडिया पर पहुंची सोरेन परिवार की कलह, जुबानी जंग में कोई हार मानने को तैयार नहीं
पहले भी सोरेन परिवार में खींचतान की खबरें सामने आती रही हैं लेकिन इस बार परिवार में `दरार` चौड़ी हो गई है.
रांची. झारखंड के प्रभावशाली सोरेन परिवार में पैदा हुई कलह अब सोशल मीडिया पर जुबानी जंग का रूप ले चुकी है. परिवार के सदस्यों में सोशल मीडिया पर जुबानी जंग जारी है. कोई भी 'जंग' में हार मानने को तैयार नहीं है. यह सारा विवाद हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद शुरू हुआ है. हालांकि पहले भी सोरेन परिवार में खींचतान की खबरें सामने आती रही हैं.
कहा जा रहा है कि इस बार परिवार में 'दरार' चौड़ी हो गई है. सीता सोरेन ने मंगलवार को न सिर्फ पार्टी, बल्कि परिवार को भी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. सीता ने परिवार में उपेक्षा का आरोप लगाया था. उनके आरोपों का जवाब हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखकर पक्ष रखा है. इसके बाद सीता सोरेन की तीनों बेटियां एक साथ सोशल मीडिया पर मुखर हो उठीं.
सीता सोरेन ने इस्तीफे की चिट्ठी में क्या लिखा?
सीता ने इस्तीफे की जो चिट्ठी पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष यानी अपने ससुर शिबू सोरेन को लिखी, उसमें उन्होंने दर्द बयां किया है. उन्होंने लिखा-मैं बहुत दुखी हूं... मेरे पति दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे. उनके निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं. पार्टी-परिवार के सदस्यों ने हमें अलग-थलग किया. यह मेरे लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा है. मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेगी, परंतु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. मुझे पार्टी और परिवार को छोड़ना होगा.
कल्पना ने दिया जवाब
इस पर कल्पना सोरेन ने इशारे-इशारों में जवाब दिया है. कल्पना ने दुर्गा सोरेन और अपने पति हेमंत सोरेन की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा-हेमंत जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे. हेमंत राजनीति में नहीं आना चाहते थे लेकिन दुर्गा दादा की असामयिक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा. हेमंत के ऊपर झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व. दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी. पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ते हुए आज हेमंत जेल चले गए. वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है.
राजश्री ने कहा-मेरे पिता का नाम न करें इस्तेमाल
इस पर सीता सोरेन की बेटी राजश्री ने लिखा-मेरे पिता अपने लोगों के संरक्षक थे. उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी. वह लोगों की आवाज थे. उन्होंने JMM को मजबूत बनाने में अपना खून-पसीना बहाया. कृपया अपनी वास्तविकता छिपाने के लिए मेरे पिता के नाम का उपयोग न करें.
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