नई दिल्ली: Who Was TN Sheshan: 'चुनाव आयुक्त तो कई हुए हैं, लेकिन टीएन शेषन एक ही हुए हैं', नवंबर 2022 में देश के सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कही थी. जब-जब  देश में चुनाव आते हैं, टीएन शेषन को जरूर याद किया जाता है. शेषन साल 1990 से 1996 तक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे. जैसे ही उन्होंने यह पद संभाला, उनके एक इंटरव्यू ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. उन्होंने कहा था कि मैं नाश्ते में नेता खाता हूं. शेषन को भारत का सबसे सख्त और मजबूत चुनाव आयुक्त कहा जाता है. जब शेषन चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, तब सियासी गलियारों में ये कहावत खूब प्रचलित थी- नेता या तो भगवान से डरते हैं या शेषन से.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

'दाढ़ी वाले ने गलती कर दी'
टीएन शेषन की नियुक्ति चंद्रशेखर सरकार में हुई थी. कहा जाता है कि तत्कालीन कानून और वाणिज्य मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने शेषन को चुनाव आयुक्त बनाने की सिफारिश की थी. टीएन शेषन की बायोग्राफी 'Seshan: An intimate story' में लिखा है कि सुब्रमण्यम स्वामी शेषन के पास मुख्य चुनाव आयुक्त के पद का ऑफर लेकर गए थे. फिर शेषन राजीव गांधी से मुलाकात करने गए. तब राजीव ने कहा- वह दाढ़ी वाला शख्स (PM चंद्रशेखर) उस दिन का मलाल करेगा, जब उसने तुम्हें मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला किया होगा.


प्रणब मुखर्जी को देना पड़ गया था इस्तीफा
साल 1993 में टीएन शेषन के एक 17 पेज के आदेश ने नेताओं की सांस अटका दी थी. उन्होंने लिखा, देश में तब तक चुनाव नहीं होगा, जब तक सरकार आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं देती. तब राज्यसभा और लोकसभा उपचुनावों का ऐलान हो गया था. इस आदेश के बाद सभी प्रकार की चुनावी प्रक्रियाओं पर रोक लग गई. इसमें पश्चिम बंगाल की भी राज्यसभा सीट थी, जहां से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी चुनाव लड़ना चाह रहे थे. लेकिन चुनाव में देरी के कारण प्रणब को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.


लालू बोले- शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर...
शेषन का एक किस्सा खूब मशहूर है, जब लालू यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके बारे में एक रोचक टिप्पणी की. साल 1995 में बिहार में विधानसभा चुनाव थे. तब बूथ केप्चरिंग की घटनाएं सामने आती थीं. लेकिन शेषन ने इन पर लगाम लगाने का फैसला किया. वे लगातार ऐसी घटनाओं पर नजर बनाए हुए थे और उन्होंने कई पाबंदियां भी लगा दी थी. इनसे परेशान होकर लालू यादव ने एक बार कहा- शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर के गंगाजी में हेला देंगे. हालांकि, माना जाता है कि शेषन के प्रयासों के चलते बिहार में बेहद निष्पक्ष चुनाव हुआ.


'मैं कोऑपरेटिव सोसायटी नहीं हूं'
अपनी आत्मकथा ‘Through The Broken Glass' में शेषन कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार के दौरान का एक किस्सा बताते हैं. उन्होंने लिखा- एक बार तत्कालीन कानून मंत्री विजय भास्कर ने संसद में पूछे जा रहे सवालों का जवाब चुनाव आयोग से देने के लिए कहा. टीएन शेषन ने साफ़ कह दिया- चुनाव आयोग सरकार का विभाग नहीं है. फिर राव सरकार में मंत्री रेड्डी ने PM राव के सामने शेषन से कहा कि आप कोऑपरेट नहीं कर रहे हैं. इर पर शेषन से कहा- मैं चुनाव आयोग का प्रतिनिधि हूं, कोई कोऑपरेटिव सोसायटी नहीं हूं. उन्होंने PM से मुखातिब होते हुए कहा- यदि आपके मंत्री का यही रवैया रहा ,तो मैं इनके साथ काम नहीं करूंगा. 


शेषन के ये काम उन्हें बनाते हैं महान
– शेषन ने ही चुनावी आचार संहिता को लागू कराया.
– वोटर आईडी पर फोटो लगाने का फैसला शेषन का ही था. 
– शेषन के कार्यकाल में ही उम्मीदवारों के खर्चों पर अंकुश लगा.
– शेषन ने चुनाव के दौरान होने वाली अनियमितताओं और गड़बड़ी पर रोक लगाई.


ये भी पढ़ें- अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव, फिर भी 70% तक नहीं पहुंची वोटिंग... आखिर क्यों?


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.