नई दिल्ली. देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव बस अब कुछ ही दिनों दूर है. सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही हैं. यूपी के चुनावों के महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि इसे 'दिल्ली का रास्ता' भी कहा जाता है. राज्य में कई ऐसी सीटें हैं जिनसे दिलचस्प इतिहास जुड़ा हुआ है. ऐसी ही एक सीट है मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा. इसी सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ने पहुंचे हैं. 


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करहल सीट का चुनावी इतिहास समाजवादी नेताओं से जुड़ा रहा है. साल 1957 में इस सीट पर शुरू हुए चुनावों के बाद बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को सिर्फ एक बार जीत हासिल हुई है. यूपी की राजनीति में जातीय गणित को बेहद अहम माना जाता है और करहल सीट पर भी इससे जुड़ा एक दिलचस्प आंकड़ा है. 

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दरअसल करहल सीट पर साल 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल से मैदान में बाबू राम यादव नाम के प्रत्याशी उतरे. उस चुनाव में बाबू राम यादव की जीत के बाद ऐसा सिलसिला शुरू जिसके बाद अब तक यहां से यादव प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं. 1985 से लेकर 2017 तक 9 विधानसभा चुनावों में करहल में पार्टी भले ही बदल गई हो लेकिन जीतने वाला प्रत्याशी हमेशा यादव बिरादरी से रहा. 


बाबू राम यादव ने पांच बार जीता चुनाव
खुद बाबू राम यादव पांच बार विधायक रहे. उन्होंने 1985, 1989, 1991,1993, 1996 का चुनाव जीता. बाबू राम ने हर बार पार्टी बदली. पहली बार लोकदल फिर दूसरी बार जनता दल फिर जनता दल सेकुलर तो आखिर में दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विजय पताका फहराई. 


साल 2002 से लगातार विधायक रहे हैं सोबरन सिंह यादव
इसके बाद साल 2002 के चुनाव में इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की. जीतने वाले थे प्रत्याशी सोबरन सिंह यादव. इसके बाद सोबरन सिंह यादव ने साल 2007 में अगला चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की. 2012 और 2017 के चुनाव भी सोबरन सिंह यादव सपा टिकट पर जीते. 


अब चुनाव लड़ने पहुंचे हैं अखिलेश यादव
यानी 1985 के करहल सीट पर 9 चुनावों में यादव बिरादरी के दो प्रत्याशियों ने लगातार जीत हासिल की है. अब इस सीट पर अखिलेश यादव चुनाव लड़ने पहुंचे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अखिलेश यादव ने इस सीट का चुनाव इसलिए किया जिससे पूरे इलाके मे यादव वोटों को सपा के साथ ही रखा जा सके.

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