5 लोकसभा चुनाव में अपने विरोधियों को चारों खाने चित करते आए हैं योगी, अब सामने हैं चंद्रशेखर रावण
UP Election 2022: दलित नेता चंद्रशेखर रावण ने घोषणा की है कि वो गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उनके लिए ये चुनावी लड़ाई बिल्कुल आसान नहीं होने वाली है.
नई दिल्लीः UP Election 2022: दलित नेता चंद्रशेखर रावण ने गुरुवार को घोषणा कर दी है कि वो गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. चंद्रशेखर की ये घोषणा मुख्य मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा में है. लेकिन योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर में चंद्रशेखर की ये चुनावी लड़ाई क्या सिर्फ प्रतीकात्मक है? अगर योगी आदित्यनाथ के चुनावी इतिहास को देखें तो यह बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है.
साल 1998 में पहली बार गोरखपुर से सांसद चुने गए योगी आदित्यनाथ आज तक कोई चुनाव हारे नहीं हैं. एक के बाद एक पांच बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को जबरदस्त पटखनी दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के गोरक्ष पीठ के पीठाधीश भी हैं. न सिर्फ गोरखपुर बल्कि इसके आस-पास के जिलों में भी इस पीठ की लोगों के बीच बहुत मान्यता है.
लोकसभा चुनाव में योगी ने किसको-किसको दी पटखनी
योगी आदित्यनाथ ने साल 1998 के लोकसभा चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी के यमुना प्रसाद निषाद को पटखनी दी थी. जहां योगी को 2,68,428 तो यमुना प्रसाद को 2,42,222 को वोट मिले थे. इसके बाद 1999 में भी योगी ने यमुना प्रसाद को चुनाव हराया था. फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में भी योगी के सामने यमुना प्रसाद ही समाजवादी के टिकट पर थे. इस बार योगी ने यमुना प्रसाद को बड़े अंतर से मात दी थी. जहां योगी को 51.31 प्रतिशत मत हासिल हुए थे वहीं यमुना प्रसाद को महज 30.70 प्रतिशत वोट ही मिले थे.
2009 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा. ये चुनाव भी योगी ने करीब सवा दो लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीता था. उन्हें करीब 54 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. 2014 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की राजमति निषाद को बड़े अंतर से हराया था.
गोरखपुर और आस-पास के इलाकों में निर्विवाद है प्रभाव
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री साल 2017 में बने लेकिन इसके पहले गोरखपुर और उसके आस-पास के इलाकों में उनका प्रभाव निर्विवादित रहा है. पहली बार सांसद बनने के बाद ही योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी संगठन की स्थापना की थी. साल 2002 में राम नवमी के दिन युवा वाहिनी की स्थापना हुई थी. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जोर देने वाला ये संगठन अब पूर्वी यूपी से आगे बढ़कर राज्य के अन्य हिस्सों में अपनी पैठ बना चुका है.
गोरखपुर सदर योगी की अपनी जमीन
बीजेपी के अपने संगठन और कार्यकर्ताओं के अलावा हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की भी गोरखपुर क्षेत्र में जबरदस्त पैठ है. योगी आदित्यनाथ अब पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ रहे योगी आदित्यनाथ के लिए यह चुनाव अपनी जमीन पर है. वहीं उनके विरोध में चुनाव लड़ने का फैसला करने वाले चंद्रशेखर की कर्मभूमि अब तक पश्चिम यूपी का इलाका रहा है.
कैसे चुनावी लड़ाई जीतेंगे चंद्रशेखर
दलित मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले चंद्रशेखर का प्रभाव मुख्य रूप से सहारनपुर जिले तक सीमित है. हालांकि ऐसी चर्चा थी कि चंद्रशेखर समाजवादी पाटर्टी के साथ बातचीत में ज्यादा सीटें चाहते थे. लेकिन उन्हें सिर्फ दो सीटों के ऑफर की खबरें थीं. यही कारण रहा कि दोनों के बीच गठबंधन आखिरकार नहीं हो पाया.
अब चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर इसे प्रतीकात्मक रूप दे दिया है. चंद्रशेखर के लिए पूर्वी यूपी का इलाका अभी नया होगा. ऐसे में देखना होगा कि वो गोरखपुर की जनता को कितना लुभा पाएंगे.
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