लखनऊ: उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनाव के सिलसिले में सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच का बड़ा फैसला आया. योगी सरकार की मांग को ठुकराते हुए कोर्ट ने आरक्षण पर अहम आदेश दिया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को आदेश दिया कि प्रदेश में सीटों के आरक्षण में साल 2015 को ही आधार साल बनाया जाए.  


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25 मई तक चुनाव संपन्न कराने का भी आदेश


लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने आदेश दिया है कि 25 मई तक यूपी पंचायत चुनाव संपन्न हो जाने चाहिये. आज की ये सबसे बड़ी खबर हैं क्योंकि यूपी सरकार को पहले भी कोर्ट ने अप्रैल अंत तक चुनाव कराने का आदेश दिया था. लेकिन आरक्षण का पेंच फंसने की वजह से प्रक्रिया तेज गति से आगे नहीं बढ़ सकती. 



जारी किये गये आरक्षण पर विवाद 


आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका देकर 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है. कहा गया कि आरक्षण लागू किए जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए. 


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सरकार ने 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने को कहा गया. साल 2011 की जनसंख्या के आधार पर आबादी के आंकड़ों में बदलाव का भी हवाला दिया गया था. 


आरक्षण पर कोर्ट ने लगा दी थी रोक


गौरतलब है कि शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव आरक्षण की फाइनल सूची पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अब सोमवार के फैसले पर हर किसी की निगाह थी. न्यायालय के आदेश के बाद ये साफ हो गया है कि नये सिरे से आरक्षण सूची जारी की जाएगी और जिला पंचायत व ग्राम पंचायत चुनाव 25 मई से पहले कराने होंगे. 


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