लखनऊ: BSP MLA Ballia: यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा और सीएम योगी की आंधी में सभी विपक्षी दल उड़ गए. 2012 से सत्ता की चाबी खोज रही बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा. मायावती की पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार उसे बहुत मुश्किल से एक सीट मिलती दिख रही है. 


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बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा से बसपा प्रत्याशी उमशंकर सिंह आगे चल रहे हैं और उनकी जीत लगभग तय लग रही है. बसपा यूपी में केवल इसी एक सीट पर नजर गड़ाए हुए है. यूपी में 4 बार सत्ता कब्जाने वाली बसपा अब एक एक सीट के लिए तरस रही है. 


बसपा के कद्दावर नेता हैं उमाशंकर सिंह


उमाशंकर सिंह पहली बार बसपा के टिकट पर 2012 में रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे. 2022 में उन्हें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र ने कड़ी टक्कर दी. 


2017 में भी बसपा ने उमाशंकर सिंह को टिकट दिया और इस बार भाजपा की लहर होने के बाद भी जीतने में कामयाब रहे. उत्‍तर प्रदेश के दूसरे छोर पर स्थि‍त बलिया में उनकी अच्‍छी पैठ है.उमाशंकर यूपी विधानसभा चुनाव के सबसे धनी प्रत्याशी थे. 


विधानसभा चुनाव 2022 के लिए हो रहे नामांकन में बलिया के रसड़ा से विधायक एवं बसपा प्रत्याशी उमाशंकर सिंह सबसे धनी प्रत्याशी हैं. उनपर सिर्फ एक मुकदमा है. कई वाहनों के साथ ही हथियारों के भी शौकीन हैं. इसकी घोषणा उन्होंने अपने शपथ-पत्र में की है. उमाशंकर सिंह के पास 8.27 करोड़ तो उनकी पत्नी के पास 9.78 करोड़ की चल संपत्ति है.


लग चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप


2012 में जब वे विधायक चुने गये तब उनके खिलाफ एडवोकेट सुभाष चंद्र सिंह ने 18 दिसंबर, 2013 को शपथ पत्र देकर लोकायुक्त संगठन में शिकायत की, कि वे विधायक होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य कर रहे हैं. मामले की जांच तत्‍कालीन लोकायुक्‍त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने की और जांच में उमा शंकर दोषी पाये गये. 


तत्कालीन राज्यपाल ने उमाशंकर सिंह के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाते हुये 29 जनवरी, 2015 को उन्हें विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया. इस फैसले के खिलाफ उमाशंकर हाईकोर्ट गए, पर 28 मई 2016 को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रकरण में खुद जांच कर राज्यपाल को अवगत कराने का आदेश दिया.


इसके बाद 14 जनवरी 2017 को उनकी विधायकी खत्म कर दी गई थी.इसी साल विधानसभा चुनाव होते हैं और वे बसपा से एक बार फिर विधायक चुने गए.


दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं उमाशंकर सिंह


उमाशंकर सिंह छात्र राजनीति भी करते थे. वे बलिया के एएसी कॉलेज से 1990 में छात्रसंघ के महामंत्री बने. इसके बाद सन 2000 में बिलया के जिला पंचायत अध्यक्ष बने. 2022 में उन्होंने चुनाव जीतकर अपनी पार्टी की इज्जत बचा ली, अन्यथा बसपा का विधानसभा में खाता भी नहीं खुलता.


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2017 के विधानसभा चुनावों में रसड़ा सीट पर बसपा उम्मीदवार उमाशंकर सिंह ने अपने करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी के राम इकबाल सिंह को लगभग 34 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था. उमाशंकर सिंह को 92272 वोट मिले थे जबकि राम इकबाल सिंह को 58385 वोटों से संतोष करना पड़ा था.


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