Akhilesh Yadav संभालेंगे हैंडल, नहीं मारेंगे पैडल... जानें सपा प्रमुख क्यों नहीं लड़ रहे चुनाव?
Akhilesh Yadav: पहले कयास थे कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन अब उन्होंने यहां से तेज प्रताप यादव को टिकट दे दिया है. अखिलेश लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
नई दिल्ली: Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व CM अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश कन्नौज सीट से उतर सकते हैं. लेकिन आज सपा की ओर से इस सीट पर अखिलेश के भतीजे और लालू परिवार के दामाद तेज प्रताप यादव के नाम की घोषणा कर दी गई है. अब स्पष्ट हो गया है कि अखिलेश चुनावी समर में नहीं उतरेंगे. वे अब 'साइकिल' का हैंडल संभालेंगे यानी पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और आदित्य यादव समेत अखिलेश के परिवार के कुछ सदस्य चुनावी मैदान में हैं.
क्यों नहीं लड़ रहे अखिलेश यादव?
अखिलेश यादव के लोकसभा चुनाव न लड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है कि वे खुद सारा चुनावी मैनेजेमेंट करेंगे. वे नहीं चाहते कि कहीं भी कोई कमी रहे. यदि वे खुद चुनाव लड़ते तो भाजपा उन्हें अपनी ही सीट पर बांधे रखती, वे बाकी सीटों पर प्रचार नहीं कर पाते. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव हार गई थीं. तब अखिलेश भी आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे थे, माना गया कि वे पत्नी डिंपल की सीट पर वक्त नहीं दे पाए. अखिलेश नहीं चाहते कि इस बार उनकी पत्नी डिंपल मैनपुरी से चुनाव हारें. वे डिंपल को जितवाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे. साथ ही उनके परिवार के अन्य सदस्य भी चुनाव में हैं. ऐसे में मुलायम परिवार की साख दांव पर है, जिसे बचाने का जिम्मा अखिलेश ने उठाया है.
2019 में आजमगढ़ से लड़ा था चुनाव
साल 2019 में के लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट से चुनावी ताल ठोकी थी. उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ से थे. अखिलेश ने निरहुआ को 2.59 लाख वोटों से हराया था. अखिलेश को 6.21 लाख वोट मिले थे, जबकि निरहुआ को 3.61 लाख वोट मिले.
फिर विधायक बने अखिलेश यादव
इसके बाद 2022 में अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव लड़ा. वे करहल से विधायक बने, उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ दी. इस पर उपचुनाव हुआ. भाजपा ने एक बार फिर निरहुआ को टिकट दिया. अखिलेश ने अपने ही परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा. लेकिन निरहुआ ने धर्मेंद्र को 8 हजार के बेहद करीबी मार्जिन से चुनाव हरा दिया.
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