नई दिल्ली: क्या मुख्तार अब्बास नकवी देश के अगले राष्ट्रपति बनेंगे? इस सवाल के पीछे कई सारे लॉजिक हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या भाजपा ये दांव खेलना चाहेगी? दरअसल, इसके कई सारे संकेत मिल रहे हैं. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल अगले महीने (जुलाई में) खत्म हो रहा है.


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क्यों मिल रहे हैं ऐसे संकेत?


मुख्तार अब्बास नकवी के पास एक अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी है. ऐसे में यदि उनके पास किसी सदन की सदस्यता नहीं बचेगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. माना जा रहा था कि राज्यसभा चुनाव या लोकसभा उपचुनाव में उन्हें भाजपा अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.


नकवी को उम्मीदवार नहीं बनाने के इस फैसले से कई तरह के सवाल खड़े होने लाजमी हैं. ऐसा माना जाने लगा कि उन्हें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद का जिम्मा सौंपा जा सकता है. अब ये समझना होगा कि आखिर क्यों भाजपा उन पर भरोसा करेगी? क्या ऐसी कोई ठोस वजहें हैं, जिसके चलते उन्हें भाजपा गठबंधन से इस पद के लिए उम्मीदवार बनाया जा सकता है.


वैसे तो मुख्तार अब्बास नकवी की कई सारी खासियत है, जिसे लेकर उनकी तारीफ होती रहती हैं. लेकिन राजनीतिक दिग्गजों का कहना है कि वो अपनी बात कम शब्दों में और बेहतर तरीके से रखना जानते हैं. उन्हें वन लाइनर में जवाब देने वाला नेता कहा जाता है.


मुस्लिम चेहरे पर भाजपा लगाएगी दांव?


भारतीय जनता पार्टी के लिए मुख्तार अब्बास नकवी की वफादारी जगजाहिर है. उनकी शैली पर किसी को कोई शक नहीं है कि उन्हें इस पद के काबिल समझा जा सकता है. साथ ही उनके मुस्लिम चेहरे होने का भी लाभ उन्हें मिल सकता है. सभी ये देखते आए हैं कि भाजपा पर हिंदू-मुस्लिम करने का आरोप लगता रहता है.


राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में मंगलवार को होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संसदीय बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उन्हें (नायडू को) राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने के बारे में विचार कर रहा है?


भाजपा ने राजनाथ और नड्डा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने के बारे में विपक्षी दलों सहित सभी राजनीतिक दलों से बातचीत के वास्ते अधिकृत किया है. नायडू के साथ शाह, राजनाथ और नड्डा की मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है. इस बैठक में राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर मंथन किया जाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं.


मुख्तार अब्बास नकवी क्यों हैं बेहतर विकल्प


इलाहाबाद में जन्मे मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही पूरी की. भारत में आपातकाल घोषित होने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. आपको बता दें, मुख्तार अब्बास नकवी एक जमाने में उस समाजवादी नेता के करीबी हुआ करते थे, जिन्होंने इंदिरा गांधी को चुनाव में हराया था. राजनारायण के प्रभाव में वो सोशलिस्ट हुआ करते थे. हालांकि राजनीतिक सफर के साथ ही वो बीजेपी में शामिल हो गए.


मुख्तार अब्बास नकवी एक बेहतर विकल्प इस लिए हो सकते हैं, क्योकि वो भाजपा के अल्पसंख्यक चेहरा के रूप में प्रमोट होंगे. इतना ही नहीं वो पार्टी के साथ हर उस वक्त पर बेबाकी से खड़े रहे हैं, जब भाजपा के सामने बड़ी चुनौतियां थी. कश्मीर की समस्या के वक्त भी मुख्तार अब्बास नकवी को आगे किया गया था.


दो बार विधानसभा में मिली हार


ये वर्ष 1991 की बात है, जब मुख्तार अब्बास नकवी को भाजपा ने मऊ जिले की सदर विधान सभा सीट अपना उम्मीदवार बनाया, हालांकि उन्हें सीपीआई के इम्तियाज अहमद ने 133 वोटों से चुनाव हरा दिया. इसके दो साल बाद ही एक बार फिर भाजपा ने इसी सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया. इस बार बसपा के नसीम ने लगभग 10 हजार वोटों से हरा दिया.


हालांकि वर्ष 1998 में उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में जीत हासिल की और संसद पहुंचे. ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई मुस्लिम चेहरा भाजपा से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचा था. उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बना दिया.


आपको बता दें, मुख्तार अब्बास नकवी तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने तीन बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा. 1998 में उन्हें जीत मिली, लेकिन 1999 और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.


देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. खबर लिखे जाने तक किसी भी दल ने अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है. ये बात हर कोई जानता है कि भाजपा ऐसे फैसले लेने के लिए जानी जाती है, जिससे हर कोई हैरान रह जाता है.


भाजपा के फैसले का अंदाजा पहले से लगा पाना हर किसी के लिए मुश्किल होता है. मुख्यमंत्री से लेकर किसी भी बड़े पद के लिए पिक्चर क्लीयर नहीं रहती है. ऐसे में यदि मुख्तार अब्बास नकवी को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बना दिया गया तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी.


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