नई दिल्ली: कहते हैं कि बचपन में अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) की आवाज मोटी हुआ करती थी. कर्कश से मधुर आवाज बनने का सफर भी बेहद सुहाना था. गुरुवार को उनके जन्मदिन पर ऐसे ही कमाल के किस्से जानते हैं. अनुराधा पौडवाल को एक बार रिकॉर्डिंग देखने का मौका मिला. जब सामने से लता दीदी को पहली बार सुना तो मंत्रमुग्ध हो गईं. इसके बाद लता मंगेशकर के गायिकी के 25 साल पूरे होने पर अनुराधा पौडवाल के मामा ने एक भगवत गीता रिलीज की थी, जो अनुराधा को भी दी थी.


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इस कारण अनुराधा पौडवाल की चली गई थी आवाज


चौथी क्लास में अनुराधा पौडवाल को निमोनिया हो गया था. इस कारण उनकी आवाज पूरी तरह से चली गई. ऐसे में वो दिन-रात चालीस दिनों तक सिर्फ भगवत गीता ही सुनती रहीं.



उसका उनके दिमाग पर ऐसा असर हुआ कि जब निमोनिया से रिकवर हुई और बोलना शुरू किया तो आवाज पूरी तरह बदल गई. ऐसे में अनुराधा कहती हैं कि लता जी में साक्षात सरस्वती है.


सबसे बड़ा फैसला


अनुराधा पौडवाल, लता दीदी की इतनी बड़ी फैन थीं कि वो जब रियाज भी करती थीं तो लता दीदी का ही गाना लगाकर अभ्यास किया करतीं. बता दें कि अनुराधा पौडवाल ने अपने करियर के चरम पर काफी बड़ा फैसला लिया था कि वो सिर्फ भक्ति संगीत ही गाएंगी और वो भी सिर्फ टी सीरीज के लिए.


जब नहीं गा पाईं भजन


अनुराधा ने जिंगी के उस दौर के बारे में बताया कहती हैं कि जिस वक्त मैं सिर्फ फिल्मों मे ही काम किया करती थीं तब एक दिन स्टूडियो में उनसे काफी सीनियर सिंगर को नीचा दिखाया गया. अनुराधा ने कभी उनका नाम नहीं लिया पर कहती हैं कि इंडस्ट्री में जब किसी का बुरा दौर चल रहा हो तो उसके अच्छे दौर को भूलाकर वो बातें भी कह दी जाती हैं जो नहीं कहनी चाहिए. इसी से आहत होकर अनुराधा ने इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला लिया.


इंडस्ट्री का मोह


उस वक्त अनुराधा ने तय किया कि इस इंडस्ट्री से मोह नहीं रखूंगी. एक दिन कोलकाता में दक्षिणेश्वर काली माता के मंदिर गई थीं कि वहां एक पुजारी ने कहा कि अनुराधा एक मां का गीत गाओ. अचानक अनुराधा के दिमाग में आया कि 12 साल उन्हें इंडस्ट्री में हो गया उन्होंने एक भी भजन नहीं गाया है. उस वक्त अनुराधा के दिमाग में एक भी मां का भजन नहीं आया.



अनुराधा काफी इमोशनल हो गई कहती हैं कि उस वक्त मैंने मां को बोला कि 'हे मां मुझे ऐसा आशीर्वाद देना कि हिंदुस्तान के हर मंदिर के साथ मेरा चेहरा और भजन जुड़ जाए.' इसके बाद जो हुआ वो चमत्कार ही था गुलशन जी के पिता ने पहला भजन गाने का मौका दिया और दुर्गा सप्तशती से ही अनुराधा पौडवाल के नए जीवन की शुरुआत हुई.


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